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Showing posts from July, 2019

दिल तो तुम्हें, दे दिया है

Thank you so much to all of you guys for lot of whatsapp messages. Thanks for keep me motivated enough to continue my passion.  Today I am going to present a song on the composition of  “ Dil ki girah Khol do , chup na betho, koi Geet gao “ Hope you will enjoy it Keep in touch दिल तो तुम्हें, दे दिया है अब मेरी, जाँ ले के जाओ करके यूँ मुझको, दीवाना दीवाने मेरे, बन भी जाओ तारों की छाओ, में आओ तुमको, बनालूँ मैं अपना कल जाने, तुम पास हो या   रह जाओ तुम बनके सपना मैं तुमको चाहूँ सदा गर तुम, मेरी माँग सज़ाओं करके यूँ मुझको दीवाना दीवाने मेरे बन भी जाओ दिल तो तुम्हें दे दिया है अब मेरी, जाँ ले के जाओ   फूलों से महके रहो तुम चंदा से खिलते रहो तुम चाहो हाँ चाहो मुझे तुम ख़्वाबों में मिलते रहो तुम मंज़िल जो पूछे कोई तो मुझे, अपनी मंज़िल बताओ करके यूँ मुझको दीवाना दीवाने मेरे बन भी जाओ दिल तो तुम्हें दे दिया है अब मेरी, जाँ ले के जाओ श्यामिली

ख़ौफ़

ख़ौफ़ बड़ा, बुद्धी से आज दुनिया ख़ौफ़ से जीती है ख़ौफ़ है तो, है समाज वर्ना सिफ़र हर मोती है सब अपनी धुन में रहते है सब अपने मन की कहते है ख़ौफ़ के लेकिन, क्या कहने मर-मर मरके ज़िंदा रहते है ना भूख से खाना, ना प्यास से पीना भागते रहना, बस यही है जीना ख़ौफ़ है मरने का, और, जीने का भी, कल के ख़ौफ़ में, छोड़ा आज का जीना सब दिल की दिल में रखते है मुँह से ना कुछ कहते है ख़ौफ़ के देखो, क्या कहने मर-मर मरके ज़िंदा रहते है जीवन क्या है, इक मिथ्या है साँसो का समर्पण, अद्वितीया है जीते जी मरना, है अभिशाप कर्मों का है फल, बस ये सत्या है सब झूठ को सत्य कहते है रस्ते को मंज़िल कहते है ख़ौफ़ के देखो, क्या कहने मर-मर के ज़िंदा रहते है कितना समेटो, सब लूट जाएगा जितना बाँटो, लौट आएगा तेरा-मेरा करते, हुआ सवेरा ना सोचो कुछ, साथ जाएगा सब तेरा-मेरा करते रहते है ना अपने मन में चिंतन करते है ख़ौफ़ के देखो, क्या कहने मर-मर के ज़िंदा रहते है श्यामिली

किधर को वीरानी, जाने लगी है

आवाज़ें सन्नाटों की, आने लगी है कुछ तो ख़ुमारी, छाने लगी है बेचैन है दिल, हालत भी ख़स्ता है किधर को वीरानी, जाने लगी है वो रु-ब-रु हुए भी, तो जाते हुए ना जी भर के देखा, ना वादें हुए बईमानी, क्यूँ मुझको, भाने लगी है बारिश में बूँदे, क्यूँ, भिगाने लगी है बेचैन है दिल, हालत भी ख़स्ता है किधर को वीरानी, जाने लगी है दिल है आवारा, क्या कहे इसको चाहे बनना बंजारा, कहता रहे मुझको बिन मौसम कोयल, क्यूँ, गाने लगी है दीवाना क्यूँ मुझको, बनाने लगी है बेचैन है दिल, हालत भी ख़स्ता है किधर को वीरानी, जाने लगी है ना रातों में नींद है, ना सुबहा में लाली है उजली वो राहें थी, घनघोर, अब वो काली है उम्मीद दिल में, क्यूँ, सुलगाने लगी है याद उनकी, अब क्यूँ सताने लगी है बेचैन है दिल, हालत भी ख़स्ता है किधर को वीरानी, जाने लगी है दिल बच्चा तो था, बच्चा ही रह गया सपना बचपन का, कच्चा ही रह गया बिन मौसम बदली, क्यूँ, छाने लगी है सौंधी मिट्टी की ख़ुशबू, क्यूँ, आने लगी है बेचैन है दिल, हालत भी ख़स्ता है किधर को वीरानी, जाने लगी है श्यामिली 

कुछ थकी थकी है ज़िंदगी, कुछ हलचल हो तो, हिल जाए

कई साल बैठे  बीत गए अब जाके वो साल आए कुछ थकी थकी है ज़िंदगी कुछ हलचल हो तो, हिल जाए घर दफ़्तर के सफ़र में थे ख़ुद बेज़ार नज़र में थे पहिए पे जो दिन आ जाए इक कारवाँ को साथ लें आए कुछ थकी थकी है ज़िंदगी कुछ हलचल हो तो, हिल जाए कुछ वो, ना समझ पाएँ मुझे कुछ मैं, ना समझ पाऊँ उन्हें दोनो ही वक़्ता बन जाए अनजाने में, दिल खुल जाए कुछ थकी थकी है ज़िंदगी कुछ हलचल हो तो, हिल जाए ना कोई वादा, किसी से हो ना उम्मीद ज़्यादा, किसी से हो कुछ बेरंग पिछले, धूल जाए कुछ नए रंग जो, खिल जाए कुछ थकी थकी है ज़िंदगी कुछ हलचल हो तो, हिल जाए आकाश नया जो, मिलता रहे दिल अपना, चमन सा, खिलता रहे सफ़र बदलता, रह जाए दिन बनते-बिगड़ते कट जाए कुछ थकी थकी है ज़िंदगी कुछ हलचल हो तो, खिल जाए श्यामिली