ख़ौफ़



ख़ौफ़ बड़ा, बुद्धी से आज
दुनिया ख़ौफ़ से जीती है
ख़ौफ़ है तो, है समाज
वर्ना सिफ़र हर मोती है
सब अपनी धुन में रहते है
सब अपने मन की कहते है
ख़ौफ़ के लेकिन, क्या कहने
मर-मर मरके ज़िंदा रहते है

ना भूख से खाना, ना प्यास से पीना
भागते रहना, बस यही है जीना
ख़ौफ़ है मरने का, और, जीने का भी,
कल के ख़ौफ़ में, छोड़ा आज का जीना
सब दिल की दिल में रखते है
मुँह से ना कुछ कहते है
ख़ौफ़ के देखो, क्या कहने
मर-मर मरके ज़िंदा रहते है

जीवन क्या है, इक मिथ्या है
साँसो का समर्पण, अद्वितीया है
जीते जी मरना, है अभिशाप
कर्मों का है फल, बस ये सत्या है
सब झूठ को सत्य कहते है
रस्ते को मंज़िल कहते है
ख़ौफ़ के देखो, क्या कहने
मर-मर के ज़िंदा रहते है

कितना समेटो, सब लूट जाएगा
जितना बाँटो, लौट आएगा
तेरा-मेरा करते, हुआ सवेरा
ना सोचो कुछ, साथ जाएगा
सब तेरा-मेरा करते रहते है
ना अपने मन में चिंतन करते है
ख़ौफ़ के देखो, क्या कहने
मर-मर के ज़िंदा रहते है

श्यामिली

Comments

  1. Madam, this is incomparable, every line and word having truth hidden of life.
    The best ever presentation of life.

    हर बार पहले से बेहतरीन

    @vikram

    ReplyDelete
  2. Actually, penned true fact.👏👌

    ReplyDelete

Post a Comment

Popular posts from this blog

प्रेम

परिवर्तन

Stress Stress Stress