नदी
मिलना होगा सागर से, उसी का
जो बहती इक नदी होगी
चमन गुलज़ार तब ही होगा
जो बीजों में नमी होगी
ना इतना नूर है, तेरी नज़र में
की, सोचे तू, क्या है, आगे डगर में
ना बेचैन हो, ना कुछ है दर-बदर में
तेरे सामने जिंदगी, तेरे कर्मो से बंधी होगी
मिलना होगा सागर से, उसी का
जो बहती इक नदी होगी
ना किरदार तू, है अहम् कैसा
ना
खरीदार तू, तुझको भरम कैसा
ना कदरदान तू, हो रहा वहम कैसा
हर अहम की इक दिन, बदी होगी
मिलना होगा सागर से, उसी का
जो बहती इक नदी होगी
जुल्म की फितरत छोड़, सर झुका
कर होंसले बुलंद अपने, शुक्र मना
दया उसकी, भावना तेरी,
वो खैरखां
ना उसकी रहमत में कभी,
कमी होगी
मिलना होगा सागर से, उसी का
जो बहती इक नदी होगी
Nice 👍😊
ReplyDeleteअति उत्तम.....
ReplyDelete@vikram
👌
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ReplyDeleteKya khub kaha🤗🤗
ReplyDeleteSundar👌🤲🙏
ReplyDelete👏
ReplyDeleteNice
ReplyDeleteNice 👍
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