Posts

नी बिल्लों

होंण ताँ मिट्टी, पॉ नी बिल्लों मन नू ना ललचा, नी बिल्लों अध्धी रातीं, क्यूँ खप पॉनी ए रब दाँ ध्याँ, होंण लॉ नी बिल्लों ना साड्डे वरग़े, तूने यार मीलनगे कई मखोठे, कई कारोबार मीलनगे जिन्ना जीताँ, उन्ना ही खटया अस्सी किस्सयाँ विच हर बॉर मीलॉगे होंण रूठ्या यार, मणा नी बिल्लों पत्थर देलनू, होंण पिंगला नी बिल्लों यारां दें यार, अस्सी हाँ दिलदार क़द्दी यारों तो देल ख़ुल्वा नी बिल्लों होंण ताँ मिट्टी, पॉ नी बिल्लों मन नू ना ललचा, नी बिल्लों ख़पदी ख़पदी तू मेट जाँणा एँ पायाँ फेर क्यूँ, पागलख़ाणा एँ एदर दीं उदर, तूँ करयाँ ना कर तूँ वी एक दिन मूक जाँणा एँ देलदे मैल होंण, लॉ नी बिल्लों देल नू क़ूछ समझां, नी बिल्लों ख़ुलके ज़ीले, खूल्क़े ग़ाले मन नू होंण, चमक़ा नी बिल्लों होंण ताँ मिट्टी, पॉ नी बिल्लों मन नू ना ललचा, नी बिल्लों अध्धा ख़ाणा, ते अध्धा बचाणा धीयाँ पुत्रा दाँ, छ्ढ़ मोह तू पाणा तेरी मर्ज़ी, जेड़ा रस्ता चुनलें एक दिंन सबने, भूल तेनू जाणा अपना देल, ना होर जला, नी बिल्लों भूझदी अग, ना सुलग़ा नी बिल्लों कर्म जिन्नादे ओ भुग़त लवणग़े क़लेज़े ठंडक,पाँ नी बि...

झूला झूलाऊँ

Image
A very Happy Janamasthami to all of you, May Kanha bless you with all his Leelas’ and help you to attain your destiny. तेरी सूरत, कभी लगे, मन मोहिनी तेरी मूरत, कभी लगे, लुभावनी कभी तू लगे, मेरा लाल, कभी मेरा सखा कभी बस, राधा संग, लगे सोहिनी चाहके भी तुझको, मैं ना भूल पाऊँ चाहत में तेरी, सुध भुध बिसराऊँ दिल माँगे मेरा, कृपा हो जाए तेरी, दिन और रात मैं, तुझको झूला झूलाऊँ ना माखन बनाना, आए मुझको ना मिस्री का स्वाद, भाए मुझको ना सीधे साधे रास्तों पे चली मैं ना तुझको मनाना आए मुझको आज कैसे कैसे, तुझको मैं रिझाऊँ आज कैसे मैं, बस तेरे गीत गाऊँ दिल माँगे मेरा, कृपा हो जाए तेरी, दिन और रात मैं, तुझको झूला झूलाऊँ तेरी याद जब- जब, आती है, आँसू देके जाती है तू साथ मेरे है फिर, कैसी ये उदासी है कहकहें भी बहुत हैं, है तेरी मेहरबानी ना फिर भी बन पायी जोगन, जाने कितनी लौ बाक़ी है मैं चाहके भी कैसे, तेरा शुक्र मनाऊँ निमाणि सी बन्दी मैं, कैसे पार पाऊँ दिल माँगे मेरा, कृपा हो जाए तेरी, दिन और रात मैं, तुझको झूला झूलाऊँ तूने रस्ता दिया तो, तू मंज़िल भी देगा मैं क्या लेके ...

आज़ाद

हम थोड़ा क्या आबाद हो गए लगता रहा, हम आज़ाद हो गए अनबुने तारों से बँधते गए पिंज़रो को घर समझते गए सीरत अपनी थी, अनन्त होना उलझ के रहे, और महंत हो गए खोख्ली मिली, हर मंज़िल ख़ौफ़ अपने क्यूँ नाबाद हो गए हम थोड़ा क्या आबाद हो गए लगता रहा, हम आज़ाद हो गए आदमी हम बन गए मंगल से जानवर भले हमसे जंगल के बिन बात, हवा पानी दूषित किया ढोल पीटे, हम समझदार हो गए ना जाने किसको हराने की चाह थी ना जाने कबके ख़ुद बर्बाद हो गए हम थोड़ा क्या आबाद हो गए लगता रहा, हम आज़ाद हो गए भाई बहन अब संयुक्त परिवार है माँ बाप के हालात भी कुछ ख़ार है ख़ून पिलाके सीचाँ जिस माली ने नई बहार के आते, उनसे बेज़ार हो गए माँ बाप हिस्से में, किसके, ना आए हर कोई वारिस-ए- जयदाद हो गए हम थोड़ा क्या आबाद हो गए लगता रहा, हम आज़ाद हो गए अपने मज़हब अपने धर्म में बँट गए अपनी जात अपनी ज़बा को रट गए तार तार करते गए, हर माँ का दिल बेटी की रूह को भी बाज़ार कर गए ऐसी शोहरत किस काम की “श्यामिली” अंदर चमन उबलता रहे, बाहर शंखनाद हो गए हम थोड़ा क्या आबाद हो गए लगता रहा, हम आज़ाद हो गए वो कोई और ही ख़ून...

कर सको तो करो महसूस

कर सको तो करो महसूस सूरज की बड़ती लाली को घर जाते हर पंछी को खाली होती हर डाली को कर सको तो करो महसूस क्यूँ इधर उधर, लहराते वो दूर तलक को उड़ते उड़ते तुरंत लौट के आते वो कर सको तो करो महसूस आकाश में मचीं हुड़दंग को है अपनो से कोई जंग नहीं देखो, ख़ुद से जुड़ी, इस जंग को कर सको तो करो महसूस ये चहल पहल क्यूँ है, सुबह और शाम दिन और रात, ये आराम है करते और शायद लेते, प्रभु का नाम कर सको तो करो महसूस ये जीवन ना प्रतियोगिता है उसकी मंज़िल उसकी है तुम्हारा अपना रस्ता है कर सको तो करो महसूस क्या खोकर क्या क्या पाया है सारा जीवन बीत गया बस अपना आप गँवाया है कर सको तो करो महसूस काली होती उस लाली को धीमें धीमें उजली होती चंदा की उस बाली को कर सको तो करो महसूस कोयल की ख़ामोशी कूकने तक साए साए लहराती हवाँ को पहली पोह के फटने तक कर सको तो करो महसूस क़ुदरत के हर इक रंग को ना समय व्यर्थ करो संजोने में ना लड़ो खुदसे इस जंग को कर सको तो करो महसूस ये जीवन मिला है, किसके लिए मिट्टी का माधो, मिट्टी की मैं फिर इतराना है, किसके लिए कर सको तो करो महसूस अब भी...

क्या याद, है मेरे दोस्त

Month of August, month of friendship, Month of Love as well. I got engaged and married in the same month. Today’s emotions are dedicated to all my friends, my loved ones’. Doesn’t matter if we are in touch or not,  you have been part of my life and will always be a piece of my heart. God bless Happy Friendship Day वो सुबह शाम का निहारना क्या याद, है मेरे दोस्त खुदी लड़ना खुदी मनाना क्या याद, है मेरे दोस्त वो एक संग में भीगना चंद लम्हों का सफ़र वो हिस्सा आज भी भीगा है मेरा तेरा सूख गया मगर एक सुर का वो हसना एक सुर में फिर गाना तेरी खुशयों की मन्नतें माँगना क्या याद, है मेरे दोस्त खुदी लड़ना खुदी मनाना क्या याद, है मेरे दोस्त क्या उन राहों से अब भी वास्ता है तेरा कुछ बदला सा लगता है अब तो रास्ता तेरा इक दूजे को पाना कभी मंज़िल ही ना थी फिर तेरा मुझसे कतराना क्या याद, है मेरे दोस्त खुदी लड़ना खुदी मनाना क्या याद, है मेरे दोस्त क्या याद अब भी आती हूँ मैं उसी शिद्दत से क्या अब भी माँगते हो मुझे अपनी क़िस्मत से या भूला दिया है दिल की धड़कनो से भी...

दिल तो तुम्हें, दे दिया है

Thank you so much to all of you guys for lot of whatsapp messages. Thanks for keep me motivated enough to continue my passion.  Today I am going to present a song on the composition of  “ Dil ki girah Khol do , chup na betho, koi Geet gao “ Hope you will enjoy it Keep in touch दिल तो तुम्हें, दे दिया है अब मेरी, जाँ ले के जाओ करके यूँ मुझको, दीवाना दीवाने मेरे, बन भी जाओ तारों की छाओ, में आओ तुमको, बनालूँ मैं अपना कल जाने, तुम पास हो या   रह जाओ तुम बनके सपना मैं तुमको चाहूँ सदा गर तुम, मेरी माँग सज़ाओं करके यूँ मुझको दीवाना दीवाने मेरे बन भी जाओ दिल तो तुम्हें दे दिया है अब मेरी, जाँ ले के जाओ   फूलों से महके रहो तुम चंदा से खिलते रहो तुम चाहो हाँ चाहो मुझे तुम ख़्वाबों में मिलते रहो तुम मंज़िल जो पूछे कोई तो मुझे, अपनी मंज़िल बताओ करके यूँ मुझको दीवाना दीवाने मेरे बन भी जाओ दिल तो तुम्हें दे दिया है अब मेरी, जाँ ले के जाओ श्यामिली

ख़ौफ़

ख़ौफ़ बड़ा, बुद्धी से आज दुनिया ख़ौफ़ से जीती है ख़ौफ़ है तो, है समाज वर्ना सिफ़र हर मोती है सब अपनी धुन में रहते है सब अपने मन की कहते है ख़ौफ़ के लेकिन, क्या कहने मर-मर मरके ज़िंदा रहते है ना भूख से खाना, ना प्यास से पीना भागते रहना, बस यही है जीना ख़ौफ़ है मरने का, और, जीने का भी, कल के ख़ौफ़ में, छोड़ा आज का जीना सब दिल की दिल में रखते है मुँह से ना कुछ कहते है ख़ौफ़ के देखो, क्या कहने मर-मर मरके ज़िंदा रहते है जीवन क्या है, इक मिथ्या है साँसो का समर्पण, अद्वितीया है जीते जी मरना, है अभिशाप कर्मों का है फल, बस ये सत्या है सब झूठ को सत्य कहते है रस्ते को मंज़िल कहते है ख़ौफ़ के देखो, क्या कहने मर-मर के ज़िंदा रहते है कितना समेटो, सब लूट जाएगा जितना बाँटो, लौट आएगा तेरा-मेरा करते, हुआ सवेरा ना सोचो कुछ, साथ जाएगा सब तेरा-मेरा करते रहते है ना अपने मन में चिंतन करते है ख़ौफ़ के देखो, क्या कहने मर-मर के ज़िंदा रहते है श्यामिली