ये अनकहीं दास्ताँ है, तुमको आज सुनाता हूँ
ये अनकहीं दास्ताँ है, तुमको आज सुनाता हूँ
साथ मेरे ना ख़त्म हो, इसलिए दोहराता हूँ
जब आप बीती, हमने उन को सुनाई,
करा बेठे ख़ुदही, इस जगमें हँसाई
इससे अच्छा, हम ग़म ही पी लेते,
इस बहाने ही सही, थोड़ा तो जी लेते
सौ हम क़दम है मेरे, पर ख़ुद को अकेला पाता हूँ
ये अनकहीं दास्ताँ है, तुमको आज सुनाता हूँ
ज़िंदगी कटी तो, बात समझ आयी
मुठठी वो रेत की थी, जो हमने छुपाई
ख़त्म हुआ अब , रोज़ रोज़ का तमाशा
लो उठ गया देखो, जीते जी, मेरा जनाज़ा
सबको दूर जाता देख, ना जाने क्यूँ घबराता हूँ
ये अनकहीं दास्ताँ है, तुमको आज सुनाता हूँ
अब ना जाने कब, मुलाक़ात हो यारों
जाने कब, फिरसे, कोई बात हो यारों
ये मीलों की तन्हाई, कैसे कटेगी,
ख़त्म होगा सफ़र, या फिर, पोह फटेगी
वो बीतें लम्हे, ज़िंदगी से भरें, भूल नहीं पाता हूँ
ये अनकहीं दास्ताँ है, तुमको आज सुनाता हूँ
रहमत कुछ कर, तुझसे आस है बाक़ी
इक नज़र तो देख, कुछ साँस है बाक़ी
माना कि कट गयी, राह देखने में ज़िंदगी
मेरी उम्मीद देख, तू आएगा, विश्वास है बाक़ी
ना आया तू, ना तेरी याद भूला पाता हूँ
ये अनकहीं दास्ताँ है, तुमको आज सुनाता हूँ
जज़्बात जो बंद है तालो में, इनको आज खोलदो
जो दिल में छुपा इक राज है, उसको आज बोलदो
दो बात, पर रखना ख़याल, पहुँच कर ऊँचाई पे
जो साथ चला हिज्र में, उसको थोड़ा तो मोल दो
ये सोलह आने की बात, यूँ ही सबको बतलाता हूँ
ये अनकहीं दास्ताँ है, तुमको आज सुनाता हूँ
शामिली
साथ मेरे ना ख़त्म हो, इसलिए दोहराता हूँ
जब आप बीती, हमने उन को सुनाई,
करा बेठे ख़ुदही, इस जगमें हँसाई
इससे अच्छा, हम ग़म ही पी लेते,
इस बहाने ही सही, थोड़ा तो जी लेते
सौ हम क़दम है मेरे, पर ख़ुद को अकेला पाता हूँ
ये अनकहीं दास्ताँ है, तुमको आज सुनाता हूँ
ज़िंदगी कटी तो, बात समझ आयी
मुठठी वो रेत की थी, जो हमने छुपाई
ख़त्म हुआ अब , रोज़ रोज़ का तमाशा
लो उठ गया देखो, जीते जी, मेरा जनाज़ा
सबको दूर जाता देख, ना जाने क्यूँ घबराता हूँ
ये अनकहीं दास्ताँ है, तुमको आज सुनाता हूँ
अब ना जाने कब, मुलाक़ात हो यारों
जाने कब, फिरसे, कोई बात हो यारों
ये मीलों की तन्हाई, कैसे कटेगी,
ख़त्म होगा सफ़र, या फिर, पोह फटेगी
वो बीतें लम्हे, ज़िंदगी से भरें, भूल नहीं पाता हूँ
ये अनकहीं दास्ताँ है, तुमको आज सुनाता हूँ
रहमत कुछ कर, तुझसे आस है बाक़ी
इक नज़र तो देख, कुछ साँस है बाक़ी
माना कि कट गयी, राह देखने में ज़िंदगी
मेरी उम्मीद देख, तू आएगा, विश्वास है बाक़ी
ना आया तू, ना तेरी याद भूला पाता हूँ
ये अनकहीं दास्ताँ है, तुमको आज सुनाता हूँ
जज़्बात जो बंद है तालो में, इनको आज खोलदो
जो दिल में छुपा इक राज है, उसको आज बोलदो
दो बात, पर रखना ख़याल, पहुँच कर ऊँचाई पे
जो साथ चला हिज्र में, उसको थोड़ा तो मोल दो
ये सोलह आने की बात, यूँ ही सबको बतलाता हूँ
ये अनकहीं दास्ताँ है, तुमको आज सुनाता हूँ
शामिली
Kya Bat Kya Bat.... Beautiful
ReplyDeleteServsresth
ReplyDeleteExcellent
ReplyDeleteअत्ति उत्तम, outstanding performance of the millennium....
ReplyDeleteVikram
Life is a Collection of Moments.
ReplyDeleteSome Happy,Some Sad & Some Unforgettable.
Apna naam toh bataye
DeleteWah re shamili very good 👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻
ReplyDelete🤩
DeleteGr8.. �� �� ���� �� Bohat सही लिखा..
ReplyDeleteBahut hi sunder lines hai
ReplyDeleteSuperb and nice expression of life in real deep thought. God Bless You and hope to come across more n more of this kind of thinking.
ReplyDeleteWeek on Week, the Grace n Class is making and leaving distinct memoirs of your thoughts and articulation. Keep Going Shamili!!!
ReplyDeleteKeep motivating
Deleteशामिली जी आप अपनी कविताओं में जिंदगी की जज़बातों को बड़ी ही ख़ूबसूरती से शामिल कर लेती है ..अश्विनी
ReplyDeleteThank you so much sir
ReplyDeleteबहुत कुछ कहती है जिन्दगी पर रह जाती है कुछ दास्ताँ अनकही .....तरे जाने के बाद
ReplyDeleteतुझसे करती हूँ मैं वो बात
जो तुने सुनी ही नहीं
जो मैंने कही ही नही.. बरसों पहले बुझाया था मैंने अपना इक चिराग़।।आँखें कसमसाती हैं उसके धुँये से आज तलक
दिखतीं है एक धुंदली सी तस्वीर तेरी और बढ जाती है दिल की ललक ।।
शामली love u
Very nice
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