ना जाने क्यूँ, ना जाने क्यूँ, हो गयी मैं बड़ी
ना जाने क्यूँ, हो गयी मैं बड़ी ये कैसा है जीवन, कैसी आयी है घड़ी दिल मेरा, रहता, बेचैन क्यूँ है रस्ते पे, बिछे रहते, ये नैन क्यूँ है जाने कहाँ बचपन, रह गया पीछे ना साथ रहा माँ का, ना दौड़े वो पीछे वक़्त आगे चला, मैं रह गयी खड़ी ना जाने क्यूँ, हो गयी मैं बड़ी अब सफ़र अपना, दिन-रात का है मुँह से निकली , हर बात का है कोन ना जाने कब, किसको सिखादे कब दिल रखले, कब दुख़ादे मीलो का सफ़र, करे, घंटो में पूरा फिर भी, हर आँख बेचैन, हर सपना अधूरा कोई मजबूर कितना, है किसको पड़ी ना जाने क्यूँ, हो गयी मैं बड़ी अब ना जाने, सावन में, क्यूँ गीले नहीं होते माला जो टूटें, फिर, मोती नहीं पिरोते सपने नहीं आते, क्यूँ नींद नहीं आती ना चाँद में वो बात है, ना चाँदनी है भाती