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Showing posts from 2019

कुछ नए वादे करो, नए साल

तोड़ कर रेकोर्ड, पिछले सो साल   सर्दी ने कर दिया, सबका बुरा हाल अब तो नया पिटारा खोलो घिसे इरादों को, नमस्ते करो फिलहाल कुछ नए वादे करो, नए साल मौसम कितना सर्द है दिल में कितना दर्द है अंतर मन को धोलो आज गलेगी इक दिन तुम्हारी भी दाल कुछ नए वादे करो, नए साल चलाएँगे केवल हरे पटाखे   क्या करना है वज़न घटाके अंगूर तो खट्टे ही निकलें  थोड़े सिर के बचालो बाल कुछ नए वादे करो, नए साल महंगा अब की हुआ प्याज़ सस्ती हो गई आबरू और लाज़ संस्कारों का हो गया सस्कार   क़ानून भी नाचे, मुजरिम की ताल कुछ नए वादे करो, नए साल खेलेंगे होली, केवल गुलाल से अपने बेटे बचाएँगे, हर दलाल से हर बहू-बेटी को, खिलता देखेंगे करेंगे बेहतर, कुछ देश की देखभाल कुछ नए वादे करो, नए साल रब अग्गे, अपना सीस निवाँएये जीथे जाएये, हसदे जाएये मन धर्म ते, सेवा विच लाईयें चेक इन विच, ना जाणा कुछ नाल कुछ नए वादे करो, नए साल    चलो अब मन ,  कुछ हल्का करते है पलके भिग़ाते है, ख़ुशी में हस्ते है क्या करेंगे लेके इतना ज्ञान गर्म काफ़ी पियो, समा बाँधो खुश-हाल   

मेरी दिल्ली

हालत, अपनी   हो गई, जैसे भीगी बिल्ली है समझ ना आए यारों मुझको, शिमला है, या दिल्ली है धुआँ धुआँ आँखो में,  बहता झर झर झरना हवा पहले दूषित थी,  अब और चिल्ली चिल्ली है NRC  को समझा नहीं,  CAA  भी आ गया JAMIA  को इसमें से,  जाने क्या क्या भा गया क़ानून ऊँची ऊँची दीवार में,  पहले   बनते थे अब जाने कैसे इनको बनाने,  उतरी मेरी दिल्ली है हालत, अपनी   हो गई, जैसे भीगी बिल्ली है सुबह की रात हो   गई,  शाम का पता, लगता नहीं बात ही बात हो गई,  विकास का पता, लगता नहीं काग़ज़ काले करते करते,  पब्लिक सड़क पे उतर गई उनके लिए वाह वाह करता        अपना शेख़ चिल्ली है हालत, अपनी   हो गई, जैसे भीगी बिल्ली है स्वेटर एक या दो पहने,        बीवी का यही मसला है पीएम मोदी और इक शाह  बीजेपी का अस्ला है       सोनिया गूँगे बेहरो से        सरकारें चलवाती है सोनिया गूँगे बेहरो से        सरकारें चलवाती है आम और ख़ास में झूझ रही        देखो अपनी दिल्ली है हालत, अपनी   हो गई, जैसे भीगी बिल्ली है श्यामिली

ना करना इंतज़ार, की, श्याम आएँगे

ना करना इंतज़ार ना करना इंतज़ार, की, राम आएँगे ना करना इंतज़ार, की, श्याम आएँगे तू धरा है, तू धारा भी बहा दे उफान से अपने तभी ये मारें जाएँगे ना करना इंतज़ार, की, श्याम आएँगे तेरी ममता का कोई मोल नहीं ये खोखल है, इनमें तोल नहीं तू जन्नी है, और काली भी तेरी आँख में, काजल और है लाली भी      अपनी रक्षा कर ,  ये ख़ुद ही जान जाएँगे ना करना इंतज़ार, की, श्याम आएँगे तू द्रौपदी है तो, दुशासन है सब कई आँखों वाले, धृतराष्ट्र है अब तू सपोलो को दूध पिलाना, तो बंद कर क्यूँ चुप है, कुछ तो द्वन्द कर     दो को धृतराष्ट्र बना, बाक़ी ख़ुद ही भाग जाएँगे  ना करना इंतज़ार, की, श्याम आएँगे तू झाँसी की रानी है, मर्दानी भी है तूने ख़ुद तलवार डाली है, उठानी अब है काट के रखदे, कुछ के तु सर  फाड़ दे कलेजा, अलग करदे, कुछ धड़ तू ख़ुद ही मुकम्मल है, सब पहचान जाएँगे ना करना इंतज़ार, की, श्याम आएँगे तू निर्मल सी बहती रही, कमजोर मान लिया तू छाया ही करती रही, बेज़ार जान लिया तू बहाँदे , उड़ादे, मिटादे , हर हस्ती जिनकी वहशत से ज़्यादा, है तेरी लाज़ सस्ती

निर्भया

क़ानून की आँख पर, पट्टी है बंधी हाथ में तराज़ू तो है, पाँव में बेड़ी है पड़ी  अब ये पट्टी खोल भी दो न्याय को तरसें है हर घड़ी हिंदुस्तान क़ब्रिस्तान हो गया खून जाने क्यूँ सफ़ेद हो गया अब ये पट्टी खोल भी दो अब नर कूचे- कूचे में जल्लाद हो गया हर बात राजनीति में मुद्दा है जल्लाद निर्भीक है ज़िंदा है अब ये पट्टी खोल भी दो हर माँ, देश की, शर्मिंदा है इक और निर्भया सिसकती गयी आख़री साँस तक तड़पती रही अब ये पट्टी खोल भी दो बचाओ, कई निर्भया है क़तार में खड़ी  ज़रा सोचो, कैसे, चीख़ी होगी कब तक, और नहीं, बोली होगी अब ये पट्टी खोल भी दो कैसे जीते जी, वो ज़ली होगी महसूस ना हुआ हो, तो करो एक काम इक उँगली जलालों, लो राम का नाम अब ये पट्टी खोल भी दो या बिन कपड़े घूम के देखो, एक बार सरे आम    नहीं तो खुल्ला व्यापार होगा       हर घर ही बाज़ार होगा    अब ये पट्टी खोल भी दो, वर्ना  क़ानून ख़ुद बिकने को तैयार होगा अब मेरे कान्हा, तू ही आजा  दीन अबला की लाज बचाजा क़ानून की आँख को सम्बल दे जा बिनती सुन ले, आस बंधाजा  श्यामिली

उड़ान

आज हूँ मैं बेचैन बड़ी सोचूँ यूँही खड़ी खड़ी  क्या धरती सचमुच गोल है सच है या फिर झोल है फिर कैसे, ऊपर नीचे है  क्या ऊपर अम्बर, पाताल नीचे है क्या सपनो की कोई दुनिया है जो हरदम मुझको खींचे है मैं रहूँ यहाँ, या जाऊँ वहाँ इस पल को जियूँ, या बहूँ तनहा मैं पानी की कोई बूँद नहीं मैं इन्सा हूँ, हूँ कर्म से बंधी  मेरी मर्ज़ी मैं खुल के जियूँ  मेरी मर्ज़ी मैं आँसू पियूँ मैं ख़ुद के मुताबिक़ चलती हूँ फिर दूजे से क्या आस करूँ क्यूँ है परेशां, क्यूँ ऐंठा है तू किसके लिए, अब बैठा है   तू कर्म करे, मैं रहूँ गमगीन अब ऐसा नहीं कोई ठेका है दुनिया क्या कहती-सुनती है अब खुदसे मेरी बिनती है मैं ख़ुद से क्यूँ शर्मिंदा रहूँ बात रहती बनती बिगड़ती है अब मैं कितना और बेचैन रहूँ धीरज धर लूँ या मन की सुनूँ मन्थन से जो ये पखेरू मिले अब रात दिन मैं उड़ती फिरूँ अब रात दिन मैं उड़ती फिरूँ श्यामिली

दोस्ताना

याद आया है, मुझको   फिर याराना तेरा गुनगुना रहा है दिल,  बस तराना तेरा ना तू खून मेरा ये, ना कोई कमीं है तू बढ़ कर है सबसे तू ही मेरी घड़ी है तू है अक्स मेरा तू ज़माना मेरा याद आया है, मुझको   फिर याराना तेरा है तू भी वही और हूँ मैं भी वही है तू भी सही और हूँ मैं भी सही बढ़ा देना हाथ देखकर डगमगाना मेरा याद आया है, मुझको   फिर याराना तेरा क्या खोया क्या पाया     कैसे अब तलक मुस्कुराया तू उतनी बार याद आया मैंने जब जब तुझे भुलाया पर कैसे भूल जाऊँ        तेरा रूठना, मनाना तेरा    याद आया है, मुझको   फिर याराना तेरा तू दूर जा चुका था जब तक समझा तुझे बेबस हो चुका था ना कुछ भी सूझा मुझे     ना भूले से भूले  अब फ़साना तेरा याद आया है, मुझको   फिर याराना तेरा ओ बचपन के साथी मेरे साथ होले क्यूँ पथराई है आँखे मेरे काँधे पे रोले संभलजा ना भाए कतराना तेरा याद आया है, मुझको   फिर याराना तेरा तेरी ख़ैर माँगू सलामत रहे तू    दुआयें मेरी ले जा जा, जी ले, ज़रा तू     ना दूँढे मिलेगा दोस्ताना म

नींद

महीने पे महीने साल दर साल बीतने को आए  पर अब भी मुझको, ये भोर क्यूँ ना भाए दशहरा भी गया  गयी अब तो दिवाली भी पर ये कुम्भकरन मेरा मुझसे मर  ना  पाए जाने अब भी मुझको, ये भोर क्यूँ ना भाए सोचा था बाल अवस्था है कभी तो खत्म होगी जीवन इक कठिन रस्ता है कभी तो बड़ी हूँगी  बचपन मेरा मुझसे ना ये वक़्त छीन पाए जाने अब भी मुझको, ये भोर क्यूँ ना भाए माँ बचपन में बोली थी सोचा एक ठिठोली थी कैसे सारा जीवन बिताओगी कभी तो काम पर जाओगी पसंद नापसंद बस मिथ्या है हर कोई बस कर्म फ़ल ही पाए  पर जाने अब भी मुझको, ये भोर क्यूँ ना भाए चलो उम्र अब भी पड़ी है नव वर्ष की भी घड़ी है एक मंडल और नींद लेते है अबके शायद वो साल आए शायद सूरज ही, थोड़ा बदल जाए नित नए रंग बिखराए  और चमत्कार हो जाए और ये भोर, शायद, मुझको, भा जाए   श्यामिली          

तलाश

तलाश तो है, उस लम्हे की, जो बीत गया  तलाश तो है, उस ज़स्बे की, जो भूल गया काश वो मुक़ाम भी आए, वो कहें तलाश तो है, उस कमले की, वो किधर गया तू ना कर पाया वफ़ा,  तो, ना वक्त ज़ाया कर पलट, देख ले, एक बार, शायद मुकम्मल तेरी तलाश हो हर शख़्स वही खोजता है जो उसको मिला नहीं जिसे पाकर भी खोया उसका कभी ग़िला नहीं    ना दर्द बाँट पाया मेरा,  ना गम है मेरे दोस्त, तेरे बचपन  के सहारे भी मेरी मरहम के लिए काफ़ी है हम तो यूँ आस लिए बैठें है गोया, कुदरत उसे तलाशेंगी, हमारे वास्ते     कुछ घड़ी और जो हो जाती जाने किससे सामना होता साँस जिस्म से निकल जाती ज़ाया तेरा लौटना होता दो घड़ियाँ सकूँ की ही तो, माँगी थी,  उस परवरदिगार से तुम क्यूँ रूठ के, उठ के चल दिए मेरी मज़ार से     पाकीज़ा सी ज़िंदगी थी कैसे रास्ता भटक गए तुम सकूँ अपना भी खोया तलाश अभी खुद की भी बाक़ी है तुम यूँ ना देखा करो मुझे, उम्मीद से अभी तो मैं खुद ही की, तलाश में हूँ श्यामिली

My Random Thoughts

क्या चाहती हो कहना        समझ ना पाऊँ मैं टुकुर टुकुर देखती हो        कहीं मर ना जाऊँ मैं तेरा यूँ थिरकना हो              मेरा यूँ चहकना हो        झरने के गूँझो में ख़ामोशी हो        ऐसे स्वर्ग की तलाश है चलो ठीक है, आगे बढते है कुछ अपने लिए भी, करते है कब तक सकूँ को तलाशते रहेंगे जो मिला उसमें, संतुष्टि करते है तुमसे नज़र मिली   या नहीं ,               ना जान पाए कभी तुमको तलाशने की चाह में        ना खुद को ढूँढ पाए कभी         तेरे ज़िक्र ने, फिर दीवाना कर दिया तेरा साथ भी, जुल्म से कम कहाँ था तेरे साथ, की आदत हुई, क्या करूँ  वर्ना अकेले, तेरा ही ग़म कहाँ था क्या होगा आगे का सफ़र        किधर ले जाएगी डग़र क्यूँ फसना है  क्यूँ फसना है, सवालों के भँवर        जी तो ले, ना बीत जाए उम्र तेरा आना तो, मुश्किल था ही तेरा जाना भी हो गया मुश्किल तेरे साथ की लत यूँ लगी साँसो का चलना भी हो गया बोझिल हर तरफ धुआँ ही धुआँ है समाचार है, कि दूषित है हवा पर मन में जो, आंधियाँ है समाचार में, ज़िक्र भी ना हुआ     श्याम

Happy Diwali

Wish you all a very Happy Diwali Stay Happy and Stay blessed कोई, कोई, ना पूछों, हमसे कैसा है हर लम्हा, परिंदो जैसा है ना तनहा रहे, है दर्द का शुक्रिया दर्द का रिश्ता, अपनो जैसा है कभी बीत गई, कभी बात गई कभी भूल गई, कभी बिसर गई समय बीता, मेरा कुछ ऐसा है बस लगता सपनो जैसा है तेरी हिम्मत ही, तेरी शान है ना भूल, तू किसकी, पहचान है   तेरा वक्ष, खुद ही धरा सा है तू अपने अक्स के जैसा है क्या रखा जीत और हार में बेमतलब की दरकार में जब होंसला ही तेरी फ़ितरत हो    हर पड़ाव, हर मंजर, इक जैसा है      क्या खोया, क्यूँ है, गम पगले तेरे साथ, खड़े है, हम पगले तेरे क़दमों में, जहाँ ये झुकाएँगे हमारा साथ भी, मोती जैसा है दिवाली पर राम जी आएँगे हम श्याम भी संग बुलाएँगे       ये लंका नहीं, कुरुक्षेत्र है हमें बनना कृष्ण के जैसा है श्यामिली