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Showing posts from February, 2020

मेरी जान

Good morning everyone, Hope you are having a great day. Today, I am presenting a Punjabi song based on  the composition of  Mr Guru Randhawa song, “Lahore”  Hope you will like it, Do let me know, your views on it. ओ एँवें रुसया ना कर मेरी जान नि लगदी तू  ओ एँवें छुपया ना कर मेरी जान नि कडदी तू  ओ। तेनू पता नहीं की बेचैनी हे किवें कवाँ  तू जाँ लेनी हे तेरे प्यार दियाँ ख़ुद शर्ताँ लिखलें तू मेरे प्यार दियाँ कुछ सिफ़्ता मनलें तू ओ। तेनू पता नहीं की बेचैनी हे किवें कवाँ  तू जाँ लेनी हे ओ एँवें रुसया ना कर मेरी जान नि लगदी तू  ओ एँवें छुपया ना कर मेरी जान नि कडदी तू  आदत तेरी पे गईं एं तू दिल विच बे गईं एं ओ हिक़ नाल लालें तू   जाँ क़ड़ के लें गईं एं तेरे प्यार दियाँ आसाँ जगालें तू मेरे प्यार दियाँ प्यासाँ भुझालें तू  ओ। तेनू पता नहीं की बेचैनी हे किवें कवाँ  तू जाँ लेनी हे ओ एँवें रुसया ना कर ओ एँवें टपया ना कर मेरी जान नि लगदी तू  ओ एँवें छुपया ना कर ओ एँवें रुसया ना कर मेरी जान नि कडदी तू 

रूहों वाला प्यार

तेरी मोहलतो की मिसाल दूँ तेरी बिसात पे तुझे मात दूँ तू तन्हा तन्हा तड़प सकें तुझे तन्हाई की रात दूँ तू रोए , पर ना सह सके तू तन्हा भी ना , रह सके तेरी हर सिसकती साँस हो तू मुझसे दूर ना रह सकें तेरा दर यूँ तनहा छोड़ दूँ तुझें यूँ सिसकता छोड़ दूँ फ़िर दो घड़ी का विराह तो हो रिश्ता जन्म का , फ़िर जोड़ दूँ तुझे मिलने की मैं आस दूँ अपने मिलन की प्यास दूँ तेरी आह को , कुछ राह दूँ तेरी सांस में मेरी साँस हो तेरी   हसरतों   की   दुआ   बनूँ तेरी   आरजू   की   वजह   बनूँ कभी ,  काफ़िर   बनूँ   तेरे   वास्ते कभी   तेरी   जुल्फ   सवार   दूँ ये   जमीं ,  आ ,  तुझपे   वार   दूँ हाँ ,  अपना   सब   कुछ   हार   दूँ तेरा   इश्क़   भी   ना   पूछें   तुझे इतना   रूहों   वाला   प्यार   दूँ  इतना   रूहों   वाला   प्यार   दूँ श्यामिली

मेरी ख्वाहिशें

वक्त आने पे तो नज़रें, तुम्हीं मिला लेना आइना हमसे जो रूठे, तुम्हीं मना लेना      अपनी यादों में ही थोड़ी, हमें जगह देदो  मुद्दतों दिल में ही रखने का, कुछ सिला देना हम तो समझे, है अब भी याद तुम्हें गर हमें तुमने भुलाया, हमें मिटा देना हाथ को आस अभी तक, है सिहर जाने की आँख बंद होने से पहले, शमा बुझा देना दिल की दिल में ना रहे, लब, पे ना आ जाए कहीं  दिल की बातों को लबों में, तुम्हीं दबा देना शोख़ नज़रों को हटाना ना, किसी के कहने पर मेरे कातिल, मेरी बर्बादी पे, मज़ा लेना श्यामिली 

ज़िंदगी

जितना इसे सम्भाला        उतनी फिसलतीं गई आहिस्ता आहिस्ता से             यारों, ज़िंदगी गुज़रती गई उसकी हर अदा ने        मुझको यूँ दीवाना किया मय को भूले भी          और हर पल मयखाना किया       उसकी उसकी रह गई        बाक़ी मय उतरती गई आहिस्ता आहिस्ता से             यारों, ज़िंदगी गुज़रती गई सितमग़र का सितम देख        उफ़्फ़ करने पे है पाबंदी  नियम भी उसके, चाल भी उसकी,        रुकने थमने पे है पाबंदी जाने क्या उम्मीद है             जाने क्यूँ सिहरतीं गई आहिस्ता आहिस्ता से             यारों, ज़िंदगी गुज़रती गई क्या पाया, क्या रह गया        कुछ हाथ आया, कुछ बह गया कैसे मुझको भूला वो         कैसे वो सब कह गया कैसी उधेड़ बुन है ये         कैसे मैं उलझती गई आहिस्ता आहिस्ता से             यारों, ज़िंदगी गुज़रती गई कैसी ये रफ़्तार है        ना रुकने का नाम लेती है चाहे हसलो, चाहे रोलों        ना समझने का मौक़ा देती है जितना इसको समझी मैं,        उतना मैं उभरती गई  आहिस्ता आहिस्ता से             यारों, ज़िंदग

मेरा ख़्याल

ना अपना  हुस्न संभला ना इश्क़ तेरा  सम्भाल पाए अब तक तो  ख़ुद से ख़फ़ा थे कैसे तेरा नुक़्स  निकाल लाए ना वीरानी  घटी मन की ना गुलशन तेरी  फ़िज़ा को किया बस घुटते गए,  धुएँ में अपने कर्मों की शायद  कोई ढाल आए तू बेवफ़ा  यूँही तो नहीं कुछ तो तेरा भी  गम होगा सन्नाटा  हरसु तकता है साया तो तेरा भी  नम होगा होगी मजबूरी,  जुबाँ भी होगी ख़ामोश  अभी तो इब्तिदा है        अभी ना आएगा होश जब बालों की बदली,        उजली होगी कुछ नज़र तुम्हारी        धुंधली होगी ख़ाली होंगे जब दोनो हाथ  बीता समय होगा        अपने साथ मीठा दर्द भी  होगा दाँत में खाना ना पचता  होगा आँत में जब बच्चे करेंगे         काएँ काएँ        हवा भी लहराएगी         साएँ साएँ शायद तुझे         मेरा ख़याल आए शायद मन में         कुछ मलाल आए तब राहें फिर से        टकराने देना बीती बातों को         दोहराने देना यादों की सिलवट को        सहलाने देना क़िस्मत पे पड़ी धूल        हटाने देना तुम थामना         मेरा हाथ फिरसे कह