Welcome to Geeta Marathon
हर पल आए, बस यही ख्याल हर पल पूछूँ, बस यही सवाल कृष्ण की देखो, कैसी माया है समझुँ ना क्यूँ, मानव जीवन पाया है सोचूँ कितने, खुशकिस्मत है हम देव भी समझे, खुदको कम कृष्ण की कृपा, है अपरम्पार पर क्या निकलेगा, ऐसे ही अपना दम अंधेरों में भी, उसकी है आहट दूर होगी कैसे, अपनी मिलावट जितना सोचा उतना उलझा पर अब मिल गई, उसकी लिखावट अर्जुन को थी जब, गीता सुनाई दूर की थी , थी घटा जो छाई प्रभुपाद ने फिर से, गीता है बांटी कितनो की है, अब जान बचाई महीना वही फिर, आया है कृष्ण ने गीता को, फिर गाया है एक गीता दान, १०० गाये दान बराबर समझ यही मुझे, बारम्बार आया है क्या मेरा हाथ तुम, बटाओगे गीता को सब तक, पहुंचोगे एक गीता, एक कॉफ़ी से भी सस्ती क्या एक कॉफ़ी, दाव पर लगाओगे इंतेजार मुझे, रहेगा तुम्हारा क्या क़दम से क़दम, मिलाओगे क्या धन्य नहीं हो , जो भारत में जन्मे क्या भारत का, कर्ज़ उतारोगे प्रभुपाद के, १२५वे साल में १२५ लोगो को, पार लगवाओगे क्या मेरा हाथ, तुम बटाओगे गीता को, सब तक पहुंचोगे