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Showing posts from June, 2022

खुद रूठे, खुद मने हम

  दर्द से दर्द क्या, कहे हम तू हो जो ना पास , क्या करें हम कहकर खुद से ही, खुद की बात खुद रूठे, खुद मने हम   तू पास बैठे, तो बात भी करें किसी शाम को , रात भी करें क्यूँ ख़ामोशी भी चली आती है, तेरे आने के साथ तू हाल तो पूछ, या बेजुबां ही मरे कंधा, मिल ना सकेगा तेरा   अब बस यही, रहेगा गम कहकर खुद से ही, खुद की बात खुद रूठे, खुद मने हम   हाँ मुझे, याद है वादे तेरे सरपरस्ती के वो, सारे इरादे तेरे आज फिर याद, क्यूँ आई है क्यूँ यादों के बादल, है मुझको घेरे हाल तेरा, अपने हाल सा कब होगा कुछ कहकर देख , ना मुडकर आयेंगे हम कहकर खुद से ही, खुद की बात खुद रूठे, खुद मने हम   तूने पूछा तो, अच्छा ही कह दिया हाल कैसा भी था , जस्बातों में बह गया क्या होगा जब, नज़र नज़र से मिलेगी ये सोच , दिल की, आज ही कह दिया होगा फिर वीरानियों का साथ जानता है दिल ,  क्यूँ फिर ठने मन कहकर खुद से ही, खुद की बात खुद रूठे, खुद मने हम   श्यामिली

फासलों का मतलब दूरी नहीं

  क्यूँ याद नहीं आई मेरी क्या होगी मज़बूरी तेरी दूर हो कर भी, हूँ दूर नहीं   फासलों का मतलब दूरी नहीं   लगता तो है की भूल गए वक़्त बीता   हम भी बीत गए बस हाथ बढ़ाने की देरी थी मंजर फिर से वही जीत गए   देर बहुत तो करदी है हुई इतनी भी देरी नहीं इक कदम बढ़ा कर तो देख फासलों का मतलब दूरी नहीं   तू यही कहीं आस पास है हाँ आज भी जिंदा एहसास है उम्र के साथ बदल जाये जो ऐसी नहीं मेरी प्यास है आज़माने को फिर आज़माले तू उम्र और दोस्ती दोनों का ढलना ज़रूरी नहीं हाँ हाथ फिर बढ़ा कर तो देख क्यूंकि फासलों का मतलब दूरी नहीं     श्यामिली 

कुछ ना कुछ तो हुआ होगा

  कैसे कब कुछ हुआ होगा जब तूने पहले छुआ होगा याद नहीं है कुछ तो बोलो कुछ ना कुछ तो हुआ होगा   बिन बात के मुस्कुराना मेरा खुद रूठना खुद मनाना तेरा कुछ ओस की बुँदे गिरने पर जा जाकर लौट आना तेरा यादों का घाव फिर हरा होगा कुछ ना कुछ तो हुआ होगा   मुरझाई मुरझाई सी यादें है थकी थकी सी मुलाकातें है बैचैन सी रूह हुई जाती है धुंधली हुई अब रातें है मायूसी ने फिर छुआ होगा   कुछ ना कुछ तो हुआ होगा कुछ रंग अभी भी बाकी है ना मय रही पर साकी है बचपन फिर से ढूंढकर देखें आँखों ने तो उम्रे ताकी है   आग भी मिलेगी गर धुआं होगा कुछ ना कुछ तो हुआ होगा   दिल बचपन बचपन चिल्लायें अब लगे पंछी बन उड़ा जाये अब कुछ फुर्सत के फिर लम्हें हो पर दिन वो कहाँ से लायें अब         ना सोचो बीते लम्हों को मुठ्ठी में क्या क्या दबा होगा ना शुरू करो शुरूआत से हर मोड़ पर हर लम्हा होगा     कुछ ना कुछ तो हुआ होगा     श्यामिली

सब देख लिया

 कहने   को तो,  सब देख लिया फेसबुक व्हाट्स ऐप और स्टेटस देखने पर भी, दिखी नही अपने, मां बाप की मूरत तुझको ये विश्वास है कल तू, कर लेगा उज्वल कैसे तू, संभला था तब जब पेट में था, हर तरफ था जल क्या याद है, क्या था किसने किया पर तूने तो, सब कुछदेख लिया क्या याद है,  कितना रोई थी वो कितनी रातें,  नहीं सोई थी वो इक कांटा ही तो था,  तेरे पांव में घायल सीना उसका था,  तेरे घाव में क्या याद है,  था कैसे ठीक किया कहने को तो,  सब कुछ देख लिया क्यूं फटी पैंट, नही दिखती क्या बाप के लिए,  दो जोड़ी नही बिकती मैचिंग क्रॉसर्स है,  साल के बच्चे के पांव में पापा का चश्मा हार गया,  तेरे इस चुनाव में क्यूं दिवाली का, उन्होंने इंतजार किया पर तूने तो सब कुछ, देख लिया घूम लिया,  अमरीका लंदन हर चहरा देखा,  ना देखा मन कैसी है घर गली,  कैसा वो आंगन है कैसा वो स्कूल,  कैसा वो मधुबन है किसका किसका, उपकार है कहां है वो, जिनका तुझ पर उधार है क्या इसी आज के लिए,  था तुझको बड़ा किया तू आज वही तू है,  पर तूने कुछ न किया कितना ऊंचा और उड़ना है थम तो जरा, और क्या करना है दिल की दिल में, रह जानी है कैसी कैसी जिद्द मन में ठ