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Showing posts from February, 2019

उम्र कटी तो, आया समझ, दर्द होने में, ना कोई हर्ज है

ये दर्द की कहानी है दर्द ही की बज़्म है उम्र कटी तो, आया समझ दर्द होने में, ना कोई हर्ज है तू मुझे मिल जाएगा कैसे मान लिया दिल ने तेरा जाना ही तो ज़िंदगी की तर्ज़ है उम्र कटी तो, आया समझ दर्द होने में, ना कोई हर्ज है बेफ़िज़ूल की, जो रातें गयी बेफ़िज़ूल की, जो बातें कई तेरा आना, तेरा जाना ख़ुद दवा, ख़ुद मर्ज़ है उम्र कटी तो, आया समझ दर्द होने में, ना कोई हर्ज है ख़ुद ख़ुदा को भी भूल गए क्या करें, शिकवा कभी तेरे पल भर का प्यार, मुझपे, जैसे क़र्ज़ है उम्र कटी तो, आया समझ दर्द होने में, ना कोई हर्ज है जो दिल ने कहा, ना सुना कभी जो दिल ने लिखा, ना पढ़ा कभी आख़िरी साँस से ही पहले, फ़ैसला तो दे ता उम्र का मामला मेरा दर्ज है उम्र कटी तो, आया समझ दर्द होने में, ना कोई हर्ज है   श्यामिली

आज उसकी माँ की बारी थी, कल तेरी माँ की बारी होगी

Sometimes, a few incidences happen with you and make you speechless. The same thing happened to all of us 2 days back. No words can depict the situation of the 44 families. At the same time, it’s a matter of deep concern for the entire country. Just being in deep moan may not work. Just wanted to convey that we need to be truthful for our country. Following words may not be enough or justified, please understand more in these few words. Jai Hind ख़ामोश ना रह, कुछ करके दिखा हर माँ वरना हारी होगी कैसे समझाया होगा दिल क़ो की कैसे विदा की, तैयारी होगी आज उसकी माँ की बारी थी कल तेरी माँ की बारी होगी क्या सोचके उसने जन्मा था क्या सोचके जश्न मनायें थे कभी सोचे क्यूँ था कष्ट सहा कभी गौरव से इतरारी होगी आज उसकी माँ की बारी थी कल तेरी माँ की बारी होगी ये ख़्वाब तो ना था, सोचेगी वो उठ उठके रास्ता, देखेगी वो ना नींद रहेगी आँखो में जीवन भर की, बेक़रारी होगी आज उसकी माँ की बारी थी कल तेरी माँ की बारी होगी क्या जाने पर, कुछ करना होगा या जीते जी मरना होगा ना मूल्य चुका सकते

ना हूँगी मैं, ना मुझको मनाना होगा

ना हूँगी मैं,      ना मुझको मनाना होगा ना रूठना होगा, मुझसे ,     ना दूर जाना होगा मेरे बगेर भी जीवन है     जान जाओगे ना बज़म होगी कहीं मेरी     ना तुमको गाना होगा ना हूँगी मैं,     ना मुझको मनाना होगा कई मुरीद तेरे जग में     एक हम तो नहीं कई तो होंगे मगर     ना हमसा दीवाना होगा ना हूँगी मैं,     ना मुझको मनाना होगा श्यामिली

रब दाँ पुँचू, फडयाँ है तू

चारों पास्से घिरयां है तू किद्दे डर तो, डरयाँ है तू चल, खंडा हो, अड़याँ ना कर रब दाँ पुँचू, फडयाँ है तू       ओद्दा लिख्या, ओईयो जाणे        कर्म ने साड्डे, क्यूँ ना माणे        रब नू चेतें, रखया कर तू        ओद्दे अग्गे, अस्सी फ़ुल निमाणे समा ऐ बन्धयाँ, है तेरे भाणे बेकें खटलें, जे साड्डी माणे कर्म दी खटनी, है खटकें जाना कर्माँ वरगे, ही मिल्णगे दाँणे        ख़ोटें ना कर, ज़ेड़े कर्म ने क़ीते        लग्या रे, जिन्नेवी, सावण बीतें        समा मुड़के, ना आणा पीछछें        खुलके जीं लें, क्यूँ मरणा जीतें बेज़ा कल्ले, ते हो जा यमला छेती छेती, होवेंगा कमला साड़े वरगे, कुछ, यार बनाले वरना कुछना, रवेगा संबलॉ श्यामिली