कमाल है ये
कमाल है ये, कुछ, तितलीयों के रंग का कमाल है ये, दिल की हर तरंग का क्यूँ धूप में भी, बात, कुछ नई सी है कमाल है ये, दिल में छिड़ी हर जंग का मैं भूल जाऊँ ज़िंदगी, तेरे, हर दाग़ को हवाँ भी दूँ, आधी जली, आधी भूझी सी आग को समेट लूँ -2, हर लम्हा पुराने संग का कमाल है ये, मेरे बदले रूप रंग का अब इंतज़ार में है मेरे कहीं, इक नई जमी और नया आस्माँ मैं भी बेक़रार हूँ, यार मेरे, लिखने को इक नई दास्ताँ उड़ लेने दो, गिर लेने दो, पूरा करने दो, क़िस्सा नए प्रसंग का कमाल है ये-2, कुछ, नए फ़ैसलों की उमंग का मुझसे भूल जो हुई, तो, भुला देना उसको मैं, क़द्रदान ही हूँ, ना बद्दुआ देना मुझको दूर होना धोखा नहीं, कहना मानो मलँग का कमाल है ये,-2, दिल में उठी, बस एक, शक की सुरंग का ना जुदा हो रिश्ते पुराने