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Showing posts from March, 2021

मेरी कशमकश

  ना दिल की जबां से, ना मद्द- ए- खुदा से नाम लिखा तुम्हारा, ज़ख्मों के निशाँ से ना टूटे, ना बिखरे , ना चटके गुमा में नज़र हटाई तुमने , गिरे आसमां से   ना पार लगे हम , ना सागर ने, डूबाया यादों ने तुम्हारी , है शब भर जगाया मिले ना तुम , राह ढूंढ डाली सारी लगता है के फ़िर से, है तुमको, गवाया     ना महकी है खुशबू , ना रंगो के बादल है ना बिखरी है जुल्फें , ना ढलका सा आँचल है वक़्त जैसे अपना, थम ही गया है ना जी भर के रोए है, उखड़ा जैसे हर पल है   ना भूलें है तुमको , ना कभी चैन आया पाला हर ज़ख्म है , ना मरहम लगाया तुम आओ , ना आओ ये मर्ज़ी तुम्हारी ना रास्ता हमने देखा , ना नज़र को हटाया     ना दुःख मना ए दिल, क्या खोने का ग़म है ना काफिला कभी था , तन्हा, बेहतर हम है ये रंग है अनोखा, आज इसको लगाले ना चाह मंजिल की बाकी , जाने किस राह हम है   ना पतंगा बना , ना कभी जगमगाया हर रोल तुम्हारा , मैंने, खुद ही निभाया हर साँस है फिर भी, तुम्हारी मौजूदगी की गवां ना रुकने दी जिंदगी, ना धडकन ने कोई गीत गया   ना तुमसे मिले हम , ना जुदा हो

विरह

  विरह तेरी तडपाए मुझे विरह में हरपल रोता रहूँ ना आस मिटे ना प्यास मिटे अश्कों से दामन भिगोता रहूँ ओ राधा मेरी , तू ना समझे तेरे प्यार में पागल होता रहूँ रहे सामने तू , धड़कन और बढे तेरे मिलन के, सपने संजोता रहूँ राधे मेरी , तू ना समझे तेरे प्यार में पागल होता रहूँ   ये रिश्ता कैसा निराला है मन से मोहित कर डाला है तेरी आस में हरदम, तू पास रहे जादू कैसा कर डाला है राधे मेरी , तू क्या समझे मैं सपनो में, तेरे खोता रहूँ विरह तेरी तडपाए मुझे विरह में तेरी , मैं रोता रहूँ   माया ने बिछाया, जाल नया ना उसको, ना तुझको आए दया ना द्वारिका की होली भाए मुझे मिल जाए, मन का मीत-सखा राधे, तू मन की रानी है कब तक मैं यूँ, समझोता करूँ   विरह तेरी, तडपाए मुझे विरह में तेरी, मैं रोता रहूँ     पल भर की ये, जिंदगानी है ना मिटनी अपनी, कहानी है हाँ, हारा तुझसे तेरा प्रियतम फागुन में होली मनानी है राधे मेरी , तू जीत गई तुझे अपने ही रंग में भिगोता रहूँ विरह तेरी तडपाए मुझे तेरे मिलन के, सपने संजोता रहूँ विरह तेरी तडपाए मुझे मैं सपनो

रंग

  रंग क्या है ये रंग क्यूँ चलते है अपने संग करते है हर पल सबको दंग रहते है सदा खुद में मलंग क्या है ये रंग क्यूँ चलते है अपने संग   कहीं खुशियों का रंग लाल है शरमाते कहीं दुल्हन के गाल है कहीं सफेद हुआ शमशान है कहीं काली बनी हुई दाल है कैसी मची है हरसू हुडदंग क्या है ये रंग क्यूँ चलते है अपने संग   अपना भारत सदा, रंग बिरंगा है     तीन रंग से बना, तिरंगा   है   छाती चौड़ी हो जाए, जब-जब ये लहराए छाती चौड़ी हो जाए, जब-जब ये लहराए जब वीर ओढे, रोती आकाशगंगा है जाने क्यूँ छिड़ती है, धरती पे जंग क्या है ये रंग क्यूँ चलते है अपने संग   क्या हरे रंग की हकदार, सिर्फ मज़ार है माँ की चूड़ी का भी, इस पर अधिकार है केसरी पर क्या, सिर्फ राम लिखा है निशानसाहिब पर भी, इसकी बहार है किसने बांटा इन्हें , किया कैसे रंग में भंग क्या है ये रंग क्यूँ चलते है अपने संग   अब थोड़ा प्यार मोहब्बत पर चलते है अब थोड़ा प्यार मोहब्बत पर चलते है देखे कैसे इनके भी रंग बदलते है शामें रंगीन हो जाती है प्यार में अक्सर टूटे दिल लाल रंग पर पलते है टूट टूट क

यादें

  शाम नूरानी, गाने लगी हलके से, मुस्कुराने लगी दिल में कैसे ज़स्बात उठे फ़िर याद किसी की , आने लगी   ये सफ़र तो था, तन्हाइंयों का इसकी कहानी, क्या कहिये खुद उधेढ़े मैंने, बुन बुन के सपनों में इसके, ना बहिये ना दिल तोडा, अपना किसी ने ना कारगार, कोई मरहम हुआ   रह रह कर फ़िर, इस दिल को रह रह कर फ़िर, इस दिल को याद किसकी, सताने लगी दिल में फ़िर ज़स्बात उठे फ़िर याद किसी की आने लगी   क्यूँ दिल को, बेहाल किया मन ही मन तो, मनाया था किस की राह, देख रहा है ये इस रस्ते कभी, ना कोई आया था मंजिल कैसी, है कैसा सफ़र ना मिला कोई, अनजाने में किसका साया है, कंधें पर जाने किससे मैं, कतराने लगी   दिल में फ़िर ज़स्बात उठे फ़िर याद किसी की आने लगी   आईना मुझसे, है पूछ रहा किसके जानिब, कोई सजदा करूँ लहू ज़िगर का, कहने लगा किसकी खातिर , और कैसे बहूँ किसी नज़र का नूर, जो मिल जाए मज़ा जाम सा हो , दवाखाने में कोहरा सा कैसा, छाने लगा तस्वीर मै किसकी, बनाने लगी   दिल में कैसे ज़स्बात उठे फ़िर याद किसी की आने लगी   बैचैनी है बड़ी , कैसे चैन आए दिल आ