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Showing posts from January, 2022

Let’s connect again

  चाहे रात का अँधेरा हो चाहे मन तुम्हारे ने , घेरा हो करना ना बिलकुल वक़्त बर्बाद अपने बीच, ना तेरा मेरा हो ए दोस्त कभी, मुलाकात तो कर नाराज़ ही हो कुछ बात तो कर   मैं आज भी मिलने आऊँगी इक बार बुला कर देख लेना अपना कान्धा फिर बढ़ाऊँगी हाथ बढ़ा कर देख लेना ए दोस्त कदम बढ़ा तो सही कभी सुन भी ले जो मैंने ना कही   क्यूँ इधर उधर की चिंता है दर्द अपना एक , आज़मा लेना दो कदम तो , चलके देखो तुम आसां नही, ज़ख्म पे हवा करना ए दोस्त कभी मुडके   तो देख नासूर पे मरहम करके तो देख   चाहे इसकी हो, चाहे उसकी हो बात निकलेगी तो, तुम तक जाएगी तुम किसी का, बुरा ना मना लेना जब तुम्हारे आगे , याद मेरी भी आएगी ए दोस्त याद करले कभी आखिरी हिचकी अटकी है अभी   श्यामिली

सुपना

  सुवेरे सुवेरे, एक सुपना वेख्या सुपने विच, एक सुखना चुक्की जे तेरी मैं, ना हो पाई समझ लई फेर, मैं हाँ मुक्की   सान्हा नाल, तू साह मिलाई मेरी उड़दी लट, दूर हटाई अख्खां नाल फेर अख्ख मिलाई करता मैंनू, तू हक्की बक्की जे तेरी मैं, ना हो पाई समझ लई फेर, मैं हाँ मुक्की   किन्ने किन्ने सी, वादे कित्ते जीन मरन दे, इरादे कित्ते पूरे ना तू, आधे कित्ते कया मेर तो, ना मतलब रख्खी जे तेरी मैं, ना हो पाई समझ लई फेर, मैं हाँ मुक्की     चन वाकण जीन्वे, चमक्या सी तू मख्खन जया, लिश्क्दा सी तू कीती पेडी, प्ल्टग्या वे तू बेमतलब आया , क्यूँ कित्ता मैंनू दुख्खी तेरी ना हो पाई मैं होन तक वी, देख ना मैं मुक्की   कई आए, कई गए सावण उमरां लंगियाँ, ना होया चानन वी दिन, वी वरों तो हो गए भारवं             होर हो गई मैं हुन, तेरे तो वख्खी वेख तेरी मैं,   ना हो पाई होन तक वी, मैं ना मुक्की   श्यामिली

उम्मीद

                 इससे ज़्यादा की उम्मीद,      क्या रखते हो      साँसों का आना जाना,      क्या कम है        हर आँख जैसे      है परेशां      कैसा अनजाना सा      डर है        वक़्त बुरा है      पर निकल जायेगा      घास के आगे      तूफ़ान में कितना दम है        यूँ ही बीत जायेगा      सफ़र चलते चलते      क्यूँ पिंजरे की है जुस्तजू      क्यूँ पत्थर सा हुआ मन है        कितना और सजाएगा      ज़र को मिटटी ही मिल जाने दे      कभी रूह भी तराश ले      वो तेरी असली कंचन है        तूने बस उसको देखा        उसके दिए ज़ख्म भी देखे      ना उसको देखा      जो लिए हाथ मे मरहम है        रख एतबार वो      करेगा इन्साफ      वो बेखबर लगता है      पर उसको सबकी खबर है        श्यामिली

कागज़

  कागज़ तो , कागज़ रहेगा कभी नहीं, झूठलायेगा लिखा वैसे का ,                     वैसा रहेगा सालो तक ,                     साफ़ साफ़ बतलायेगा फर्क रहेगा ,                     नज़र और नज़रिये का   ये क्या किसको , समझायेगा काला अक्षर , भैस बराबर किसी किसी को , नज़र आयेगा किस कागज़ पर , क्या लिखा है क्या पढ़ने वाला , समझ पायेगा   कौन करेगा , इसको वन्दन कैसे बनेगा , इससे बंधन कौन सुनेगा , इसका क्रन्दन कौन इसको   कैसे , समझ पायेगा किस कागज़ पर ,                 क्या लिखा है क्या पढ़ने वाला , समझ पायेगा   सुनो ये , क्या क्या कहता है क्यूँ सागर , मीलो बहता है क्या इसके , मन में रहता है इक दिन तुम्हारी आँख से , बह जायेगा किस कागज़ पर , क्या लिखा है क्या पढ़ने वाला , समझ पायेगा   कहीं शब्द मिलेंगें , कहीं भाव भी कहीं दिखने लगेंगें , लिखने वाले के घाव भी      दोस्ती इससे करके तो देखो  , होने लगेगा लगाव भी अक्षर अक्षर फिर , इसका जगमगायेगा    किस कागज़ पर , क्या लिखा है क्या पढ़ने वाला , समझ पायेगा   क्या सामने है , क्या पीछे छिपा है लिखने वाले ने , क्यूँ कब लिखा है महसूस करो ,                      जो नहीं दिखा

दुआ

  Wishing you a Very Happy New year, May Krishna bless you and your family with good health wealth and happiness इक और दिन का अंत हुआ इक और दिन की हुई शुरुआत कहने को तो बहुत कुछ हुआ पर रखना नहीं, मुझको वो याद   अभी अभी तो आया था साथ जल्दी ही छूट गया हमने नही मनाया था शायद इसलिए ही, रूठ गया   चलो बीता ये भी साल, चिंता की कोई बात नहीं दिन का उजाला हुआ लाल , ढली पर गम की रात नहीं   रोज़ होगी फिर सुबह नई साथ रहेंगी सदा मेरी दुआएं होगी हर पल उम्मीदे कई कभी तुझपर कोई आंच ना आए   खुशियों से हरा भरा हो जाए गुलशन तेरा जग - मगाए दिल की और ना, रखना तुम दिल में पुकार लेना अगर, याद आ जाए पुकार लेना अगर ,याद आ जाए   श्यामिली