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Showing posts from 2021

ज़िन्दगी है जनाब

हरपल नए , रंग दिखाती है मैं रोती हूँ , ये मुस्कुराती है हरदम नया, सिखाने को   जाने, क्या क्या खेल रचाती है ये ज़िन्दगी है जनाब , क्या से, क्या हुए जाती है   सोचूँ, तो सफ़र तन्हा था आसरा किसी का, इस पर लगता है जो एहसास, कभी अपना था किसी और का, हुआ लगता है दिल की, दिल में भी ना रहें ना वो बात, होठों तक आती है ये ज़िन्दगी है जनाब , क्या से, क्या हुए जाती है   दूर तलक, धूल सी है जमी  जैसे कोई, आया ना गया हो       छूने को, इस कद्र है तरसी  हर कतरा, राह में बिछा हो   ना याद कोई ,   पर  किसका है तस्सवुर आईने में सूरत, किसकी नज़र आती है       ये ज़िन्दगी है जनाब , क्या से, क्या हुए जाती है               मैं गलत, वो सही             बस ये, रट लिए बैठी है               सज़ा, ना किये की भी रही लडकपन का, हठ लिए बैठी है दीदार हो ना हो, ज़ख्म रहेगा मर्ज़ पर ऐसी, दवा किए जाती है ये ज़िन्दगी है जनाब , क्या से, क्या हुए जाती है   श्यामिली      

तुमसे ना हो पाएगा

                         लड़की हो तुम , तुमसे ना हो पाएगा लड़की हो तुम , हर कोई समझाएगा लड़की हो तुम, कुछ तो शर्म करो , लड़की हो तुम , पिंक ही तुम पर भाएगा   पहले होती थी , दुर्गा काली     लड़की होना ,            अब हुआ है गाली दिल की दिल में रहे,             जब तक, अच्छा है बस माँगा करो,             कान की बाली तुम रहो बस निर्भर , वो चाहे तो नाज़ उठाएगा    लड़की हो तुम , तुमसे ना हो पाएगा   सोचो कैसी वो माँ होगी                            दोनों को जिसने जाया है एक तो मनमौजी जिए,                     दूजे ने, आप गवाया है बहू बेटी का फर्क ये,                     कब तक रहेगा ये अंदाज़ एक बेटे की खातिर                     बहू को कितना सताया है फिर जाने इस बहू के चलते ,                   कितनी बेटीओ को मरवाएगा                   हाँ, लड़की हो तुम ,        तुमसे ना हो पाएगा   एक दो तीन चार,                   चाहे लगे पूरा बाज़ार एक लड़का चाहिए ,                   बस इतनी सी है दरकार धडकन दादी की                   कम होगी

मेरे दोस्त

क्या पता मुझको, कैसी होती क्या बिलकुल ही , ऐसी होती बिना तेरे ओ मेरे दोस्त क्या जाने, ज़िन्दगी कैसी होती   कौन धूप में, छाँव करता बंजर मंज़र में, गाँव करता तेरा कारवाँ, जो ना साथ होता ना मेरे दर्द की, दवा होती बिना तेरे ओ मेरे दोस्त ना जाने, ज़िन्दगी क्या होती   मशीन सी, जीने की राहें थी मिली जुली सी, अपनी चाहें थी तेरी नज़र का, नज़ारा नहीं मिलता   ना जाने, किसकी पनाह होती बिना तेरे ओ मेरे दोस्त ना जाने. कौन सी अपनी आह होती   काश तुझको भी, मेरी याद सताए कोई मुश्किल ही, फिर करीब लाए यूँ तो होंगे तेरे, सहारे कई बस मेरी साथ ही, तुझको करार आए बिना तेरे ओ मेरे दोस्त ज़िन्दगी मेरी, यूँ ही ना गुज़र जाए       श्यामिली  

मेरी किताब

  चंद पन्ने छप जाएँ जो , मेरी किताब के , बे - आबरू हो जाएँ वो, उठते नक़ाब के   दिल का दर्द सुनाने हम क़िधर जाए , दिल का दर्द सुनाने हम क़िधर जाए , काँटे लगे हुए है जब , सभी के ख़्वाब में चंद पन्ने छप जाएँ जो , मेरी किताब के ,   वो रूबरू हुए यूँ , लगा रोक लेंगे हमें , फिर मान लिया हमने , मिलने आए जनाब थे     चंद पन्ने छप जाएँ जो , मेरी किताब के ,   बाद मेरे, मेरी दास्ताँ रह जाए , बाद मेरे, मेरी दास्ताँ रह जाए , रूह बेनक़ाब करनी पड़ी , मुझे हर हिजाब से चंद पन्ने छप जाएँ जो , मेरी किताब के , बे - आबरू हो जाएँ वो, उठते नक़ाब के श्यामिली 

Welcome to Geeta Marathon

               हर पल आए, बस यही ख्याल हर पल पूछूँ, बस यही सवाल कृष्ण की देखो, कैसी माया है समझुँ ना क्यूँ, मानव जीवन पाया है       सोचूँ कितने, खुशकिस्मत है हम देव भी समझे, खुदको कम कृष्ण की कृपा, है अपरम्पार पर क्या निकलेगा,  ऐसे ही अपना दम   अंधेरों में भी, उसकी है आहट दूर होगी कैसे, अपनी मिलावट   जितना सोचा उतना उलझा पर अब मिल गई, उसकी लिखावट   अर्जुन को थी जब, गीता सुनाई दूर की थी , थी घटा जो छाई प्रभुपाद ने फिर से, गीता है बांटी    कितनो की है, अब जान बचाई   महीना वही फिर, आया है कृष्ण ने गीता को, फिर  गाया है एक गीता दान, १०० गाये दान बराबर समझ  यही  मुझे, बारम्बार आया है   क्या मेरा हाथ तुम, बटाओगे गीता को सब तक, पहुंचोगे एक गीता, एक कॉफ़ी से भी सस्ती क्या एक कॉफ़ी, दाव पर लगाओगे इंतेजार मुझे, रहेगा तुम्हारा क्या क़दम से क़दम, मिलाओगे क्या धन्य नहीं हो , जो भारत में जन्मे क्या भारत का, कर्ज़ उतारोगे प्रभुपाद के, १२५वे  साल में १२५ लोगो को, पार लगवाओगे   क्या मेरा हाथ, तुम बटाओगे गीता को, सब तक पहुंचोगे    

लाजवाब

  तू सदा ही मुस्कुराए तू चाहे कहीं भी जाए तू सदा ही गुनगुनाए     तू चाहे नज़रें चुराए तू सदा कामयाबी पाए   तू चाहे ना, मुझको मनाए तू मेरे हिस्से का ख्वाब है तू सदा ही लाजवाब है   दुनिया बड़ी है , तू अभी छोटी है दुनिया से बच, नियत इसकी खोटी है चेहरे पे चेहरा है , दिल भी खराब है नज़र ना लगे तुझे यूँ तो चाँद पे भी दाग है तू मेरे हिस्से का ख्वाब है तू सदा ही लाजवाब है   रोज़ नए नए, रंग दिखाती है ज़िन्दगी सी है तू , रोज़ नया मुंह बनाती है थक जाना मेरी फितरत नहीं, ये मेरा जवाब है तू हर हाल में रहे रोशन, मेरे घर का चिराग है तू मेरे हिस्से का ख्वाब है तू, सदा ही लाजवाब है   तेरा वहम है, तू हो गयी है बड़ी तजुर्बा बचाता है जीवन में हर घडी हवाएँ कितनी भी सर्द हो तू खुद ही आफ़ताब है इंतज़ार तो कर तेरा वक़्त , तुझे मिलने को बेताब है रखना याद , तू मेरे हिस्से का ख्वाब है तू, मेरी बच्ची , सदा ही लाजवाब है Wishing Ananya a very happy Birthday, May Krishna bless you dear    श्यामिली

चेहरे

  जो दिखता तो है, होता पर नहीं वो भी सुना, जो कहा नहीं            मिली उसकी भी सज़ा,                       जो किया ही नहीं   दुनिया की यही, रीत है यारो जाने दो , जो चला गया, ना था अपने लिए सही     बनाये थे दोस्त, पर निकले दुश्मन ढूंढे कैसे, इक साफ सा मन चेहरे इतने है , परखें कैसे कितना सोचे,               किसने क्या क्या कही कैसे बोले ,           क्या है बीत रही   दिल टुटा तो है ,             ना बिखरने देंगे उम्मीद का दामन,             ना फिसलने देंगें वो खुशफ़हमी में,            निभाए दुश्मनी मेरे रब ने मेरा हाथ,           कभी छोड़ा तो नहीं फिर क्यूँ सोचें           क्या है गलत सही फिर क्यूँ सोचें           क्या है गलत सही   श्यामिली

विदाई

  समझ गर जो पाओ, तो तुम समझ जाना जो मै, फिर से रुठूँ, तो मुझको मनाना जमाने का यूँ तो, ठुकराया हुआ हूँ डगमगाऊँ अगर मैं, तो मुझको बचाना   हाँ सच है कि, ना साथ, मैंने दिया है अच्छा ही किया है, जो, तूने किया है यूँ तो रूह तक ये घाव फैला हुआ है हो सके तो इसपर कुछ मरहम लगाना जो मै, फिर से रुठूँ, तो मुझको मनाना   ना की कुछ वफा पर घायल किया है तेरी हर अदा ने फिर भी, कायल किया है जो धुआं धुआं है बुझती आग भी होगी   अगर हो सके फिर से ताप बढ़ाना जो मै, फिर से रुठूँ, तो मुझको मनाना   ना जी भर के देखा ना सजदे का वक्त था डगर थी अंगारों की मौसम भी कम्बक्त था थी आवाज़ आई लगा तुमने पुकारा अगर सुन तुम पाओ मेरी आहों को सुनना आखिरी मरतबा मुझको कान्धा लगाना आखिरी मरतबा मुझको कान्धा लगाना   श्यामिली

इतनी सी तो मानोगे

Hare Krishna everyone, Wishing you and your family a very Happy Diwali, May Sri Sri Radha Radhika Raman ji bless you all in all desired manner and May They keep you engaged in Their services. With your blessings, on this Diwali, we are planning to welcome Laddu Gopal ji at our place, Kindly wish us further so that we can get the mercy asap  "Itni si toh manoge" is a try to share the kind of excitement I am going through and to depict kind of imagination and thoughts that are coming into my mind. Hopefully, it will be more exciting than my imagination. Lastly, I pray that we should be able to serve Kanha in prescribed manner. Hare Krishna  देखूँ मैं, तुम्हे दिन रात इतनी, सी तो मानोगे ना छोड़ोगे, मेरा अब साथ इतनी, सी तो मानोगे देखूँ मैं, तुम्हे दिन रात इतनी, सी तो मानोगे ना छोड़ोगे, मेरा अब साथ इतनी, सी तो मानोगे मैं रोदूँ, क्या यही ज़ज़बात कान्हा, तुमने पाला है ये आँसू, ये आँसू,   तुम ही पोंछोंगे इतनी, सी तो मानोगे देखूँ मैं, तुम्हे दिन रात इतनी सी तो मानोगे  

मिलन

  कभी तुम मुझसे, यूँ मिल जाना यूँ तुम मुझसे, कभी मिल जाना   माना, जाना तेरा, है जरुरी होगी कुछ ना, कुछ मज़बूरी पर मेरे दिल में, तुम बस जाना जाने अनजाने, कहीं मिल जाना   सर्द साँसों की, आह बनना सूखे होठों की, चाह बनना गहरे सन्नाटो की, गूंज में मेरी धडकन में, उतर जाना फिर मेरे दिल में, बस जाना   चेहरे पे बड़ी, बारिश की बूंदे तनमन में कितना, है कूदे बूंदों में तुम भी, मिल जाना मेरे चेहरे पे फिर, खिल जाना कहीं जाने अनजाने, मिल जाना   सिहर उठना मेरा, याद रखना राह तकना मेरा, याद रखना कहीं मन का कम्पन, बन जाना कभी मेरा दर्पण, बन जाना फिर मेरे दिल में, बस जाना   कड़ी धूप में बनना, काला बादल कभी बनना मेरी, आँखों का काज़ल कभी कोयल की, कूक सा कान में मिश्री सा, घूल जाना फिर मेरे दिल में, बस जाना जाने अनजाने कहीं, मिल जाना   आसूँ मेरे का, नमक बनना मेरी आँखों की, चमक बनना सावन में, नाचता मोर बनना मेरी पतंग की, डोर बनना मन मन्दिर का, दिया बनना मेरे हरपल में, जिया करना   मेरी ज़िन्दगी की, डगर बनना मेरी राह का हर, मंज़र बनना  

बचपन वाला इतवार

सुना है कुछ हुआ है सुना है कुछ, ना रह पाएगा सुना है कोई, रूठ गया है सुना है कोई, ना मनाएगा बार बार इस कदर, बदला है इंसा खुद का अक्स भी ये, पहचान नहीं पाएगा इक बार चला जाए तो,  बचपन वाला इतवार नहीं आएगा   बेशक, बदला है दौर बेशक, मशीनी हो गया है सब   बेशक, इश्क मुश्क भी, आम हो गया पर , किसी को किसी पर, प्यार नहीं आएगा इक बार चला जाए तो,  बचपन वाला इतवार नहीं आएगा   बस होंगी जरूरते पूरी बंगला गाड़ी डिस्को भी होगा माँ बाप के संग मनाने को चहकता त्यौहार नहीं आएगा   इक बार चला जाए तो,  बचपन वाला इतवार नहीं आएगा दोस्ती भी, चेटिंग ग्रुप की मोहताज   बन जाएगी बीमार दोस्त की मदद करने कोई दोस्त, बाहर नहीं आएगा   इक बार चला जाए तो,  बचपन वाला इतवार नहीं आएगा वहाँ बोलते रह गए जहाँ चुप-चाप रहना था जहाँ बोलना चाहिए वहाँ शब्दों का, कारोबार नहीं आएगा   इक बार चला जाए तो,  बचपन वाला इतवार नहीं आएगा बड़ी जल्दी है, सब कुछ करने की बड़ी जल्दी है, हाथ पकड़ने की बड़ी जल्दी है, सबको बढ़ने की बचपन खुद ही सबको छोड़ जायेगा ना खुद पर, ना किसी और पर, किसी को किसी पर