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Showing posts from July, 2022

कह गए

  जो ना कहना था, हम कह गए बिना सुने, फिर भी, वो रह गए ना मन की मन में रही, ना बयां की गई   आँखों से, कह भी दिया मगर  अनसुने,  अल्रफ़ाज़ रह गए जो ना कहना था, हम कह गए   बादल जैसे छटने लगे है धुप जैसे खिलने को है शाम का किया , क्यूँ इंतज़ार अपने ज़ज्बात, बारिश में बह गए जो ना कहना था, हम कह गए   जिधर देखो मीलों तक कारवां है साथ है हर कोई पर फिर भी जुदा है ऐसे में क्यूँ आस, उसने बढाई    हम अपनी तन्हाई में खुश थे अब महफ़िल में तन्हा रह गए जो ना कहना था, हम कह गए   क्या मालूम, ना था मुझको   मौसमी ही था हर सहारा मुझको दिल की कीमत क्या बाज़ार में लगेगी कितनों के ख्वाब ये सोच बिन बिके ही रह गए जो ना कहना था, हम फिर से कह गए     श्यामिली 

क्यूँ बोल पड़ी

  रहने को तो, चुप रहना था कहने को कुछ, नहीं कहना था कभी कंगन, कभी पायल, कभी, मेरी ख़ामोशी बोल पड़ी याद आई, कुछ इस तरह याद आई तेरी, इस तरह गूंगी उदासी बोल पड़ी   मेरा ना लेना, देना था उसका सफर, उसका मेला था करता चाहे, मनमर्जी वो, मैं मन की दासी, बोल पड़ी रहने को तो, चुप रहना था पर , मेरी उदासी बोल पड़ी   जाने कबसे, होंठ सिले थे कैसे किससे, ज़ख्म मिले थे राज़ सोचा था, राज़ ही रहेगा जख्मों की बदहवासी, बोल पड़ी रहने को तो, चुप रहना था मेरी उदासी बोल पड़ी मान तो, लिया ही था सफ़र मेरा , तन्हा ही था फ़िर किस कोने, में दबी मेरी रूह प्यासी, बोल पड़ी रहने को तो, चुप रहना था मेरी उदासी बोल पड़ी श्यामिली

छुपाना तो है

  तुमको कुछ, बताना तो है क्या कहूँ , कुछ जताना तो है समझ सको तो बिन कहे समझो राज़ सबसे ये, छुपाना जो है   जाने कैसे, ना, तुम पढ पाए कौन सी जबां से तुमको समझाएं समझ सको तो समझ लो तुम बोले बिन ही, ना हम मर जाये एक बात को लब पर, लाना तो है कहने का अब बहाना तो है पर कहते कहते रुक जाते है    सबसे वो राज़ छुपाना जो है     अखबार आज की, पढ़ी तो होगी किसी की आँख, गढ़ी तो होगी समझ सको तो समझलो तुम आँख तुम्हारी, भरी तो होगी दिल के करीब, होते है जो दिल से उनको. मनाना तो है मै सपना, तेरा ही हूँ, दुनिया से मुझको, बचाना तो है     इससे पहले की, मै आँखों से छलकूं काजल , आँखों से   छुड़ाना तो है   दिल की दिल में रख लेंगे फिर से राज़ सब से ये छुपाना तो है     श्यामिली

मेरे अपराध

मेरे अपराध मेरे अपराध इतने है, कि बताएं ना जायेंगे लाख छुपालूं तुमसे मैं छुपायें ना जायेंगे कभी सोचा ना था दिन, ऐसा भी आएगा कभी सोचा ना था दिन, ऐसा भी आएगा तुमसे आँख मिलाने में हम इतने घबराएंगे तेरे दरबार को जाने में इतनी देर लगायेंगे मेरे अपराध इतने है, कि बताएं ना जायेंगे   ना दिल की सुने तो क्या करें ना वक्त मिले कैसे जियें हम भटके हुए मेहमां है  तेरे रास्ते पर कैसे हम चल पाएंगे तेरी रहमतो के बादल कब हम से टकराएंगे कब, पहचानेगें खुदको कब, तेरे दर पर जायेंगे मेरे अपराध इतने है, कि बताएं ना जायेंगे   ना मिला जो उसकी याद आती है तू है फिर भी कद्र, की नहीं जाती है तू कहता है, विश्वास तो कर पर कितने कदम तेरे हिसाब से, चल पायेंगे तू कहता है, फ़िक्र ना कर पर कैसे, हम दिल को समझायेंगे कौन समझा है तेरी माया को कैसे हम, बच पाएंगे       मेरे अपराध इतने है, कि बताएं ना जायेंगे   सोचा तो है मर्जी होगी, बस तेरी सोचा तो है मर्जी होगी, बस तेरी डगर हो जाये, आसान यही अर्जी है मेरी तूने हाथ छोड़ा ही कहां

Let it go

दर्द को चेहरे से,  बेझिझक  मिलने दें ज़ख्म कैसा भी हो, किसी को तो सिलने दें   दें चाहे रिश्वत, या चाहे सख्त हो जा दिल को शमा से , थोडा तो पिघलने दें   वो किसी का तो हो , चाहे तेरा ना हो मासूम सी कली है, कहीं तो खिलने दें   अच्छा ही हुआ, दिल ही टूटा है उम्र भर है गम , इसे साथ ही चलने दें   उम्मीद क्यूँ लगाई है तूने, मतलबी जहाँ में मतलब को मतलब के , तराजू में तुलने दें   वहम दिल से निकल दे , कोई तेरा भी था हर मोड़ पे बदलेगें वो , बदलतें है बदलने दें   कोई गया है तो, कोई आयेगा भी दिल के हिजाब को, जी भर कर खुलने दे   कहने को कुछ ना कुछ, कहेगी ये दुनिया इस सैलाब से मिटटी को, नाहक ना कुचलने दें   दिन ही ढला है, बाकी है जिंदगी ना मुठ्ठियों को कस , ना रेत को फिसलने दें      हम जान जायेंगे तुझे, आईने की तरह   मुस्कुराहटों को होठों पे, थोडा सा खिलने दें   एक दफा हाल- ए – दिल बयाँ, करके तो देख मरहम सा हाथ, ना काँधे से फिसलने दें   दर्द को चेहरे से,  बेझिझक  मिलने दें ज़ख्म कैसा भी हो, किसी को तो सिलने दें श्यामिली