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Showing posts from October, 2021

इतनी सी तो मानोगे

Hare Krishna everyone, Wishing you and your family a very Happy Diwali, May Sri Sri Radha Radhika Raman ji bless you all in all desired manner and May They keep you engaged in Their services. With your blessings, on this Diwali, we are planning to welcome Laddu Gopal ji at our place, Kindly wish us further so that we can get the mercy asap  "Itni si toh manoge" is a try to share the kind of excitement I am going through and to depict kind of imagination and thoughts that are coming into my mind. Hopefully, it will be more exciting than my imagination. Lastly, I pray that we should be able to serve Kanha in prescribed manner. Hare Krishna  देखूँ मैं, तुम्हे दिन रात इतनी, सी तो मानोगे ना छोड़ोगे, मेरा अब साथ इतनी, सी तो मानोगे देखूँ मैं, तुम्हे दिन रात इतनी, सी तो मानोगे ना छोड़ोगे, मेरा अब साथ इतनी, सी तो मानोगे मैं रोदूँ, क्या यही ज़ज़बात कान्हा, तुमने पाला है ये आँसू, ये आँसू,   तुम ही पोंछोंगे इतनी, सी तो मानोगे देखूँ मैं, तुम्हे दिन रात इतनी सी तो मानोगे  

मिलन

  कभी तुम मुझसे, यूँ मिल जाना यूँ तुम मुझसे, कभी मिल जाना   माना, जाना तेरा, है जरुरी होगी कुछ ना, कुछ मज़बूरी पर मेरे दिल में, तुम बस जाना जाने अनजाने, कहीं मिल जाना   सर्द साँसों की, आह बनना सूखे होठों की, चाह बनना गहरे सन्नाटो की, गूंज में मेरी धडकन में, उतर जाना फिर मेरे दिल में, बस जाना   चेहरे पे बड़ी, बारिश की बूंदे तनमन में कितना, है कूदे बूंदों में तुम भी, मिल जाना मेरे चेहरे पे फिर, खिल जाना कहीं जाने अनजाने, मिल जाना   सिहर उठना मेरा, याद रखना राह तकना मेरा, याद रखना कहीं मन का कम्पन, बन जाना कभी मेरा दर्पण, बन जाना फिर मेरे दिल में, बस जाना   कड़ी धूप में बनना, काला बादल कभी बनना मेरी, आँखों का काज़ल कभी कोयल की, कूक सा कान में मिश्री सा, घूल जाना फिर मेरे दिल में, बस जाना जाने अनजाने कहीं, मिल जाना   आसूँ मेरे का, नमक बनना मेरी आँखों की, चमक बनना सावन में, नाचता मोर बनना मेरी पतंग की, डोर बनना मन मन्दिर का, दिया बनना मेरे हरपल में, जिया करना   मेरी ज़िन्दगी की, डगर बनना मेरी राह का हर, मंज़र बनना  

बचपन वाला इतवार

सुना है कुछ हुआ है सुना है कुछ, ना रह पाएगा सुना है कोई, रूठ गया है सुना है कोई, ना मनाएगा बार बार इस कदर, बदला है इंसा खुद का अक्स भी ये, पहचान नहीं पाएगा इक बार चला जाए तो,  बचपन वाला इतवार नहीं आएगा   बेशक, बदला है दौर बेशक, मशीनी हो गया है सब   बेशक, इश्क मुश्क भी, आम हो गया पर , किसी को किसी पर, प्यार नहीं आएगा इक बार चला जाए तो,  बचपन वाला इतवार नहीं आएगा   बस होंगी जरूरते पूरी बंगला गाड़ी डिस्को भी होगा माँ बाप के संग मनाने को चहकता त्यौहार नहीं आएगा   इक बार चला जाए तो,  बचपन वाला इतवार नहीं आएगा दोस्ती भी, चेटिंग ग्रुप की मोहताज   बन जाएगी बीमार दोस्त की मदद करने कोई दोस्त, बाहर नहीं आएगा   इक बार चला जाए तो,  बचपन वाला इतवार नहीं आएगा वहाँ बोलते रह गए जहाँ चुप-चाप रहना था जहाँ बोलना चाहिए वहाँ शब्दों का, कारोबार नहीं आएगा   इक बार चला जाए तो,  बचपन वाला इतवार नहीं आएगा बड़ी जल्दी है, सब कुछ करने की बड़ी जल्दी है, हाथ पकड़ने की बड़ी जल्दी है, सबको बढ़ने की बचपन खुद ही सबको छोड़ जायेगा ना खुद पर, ना किसी और पर, किसी को किसी पर

अर्ज़ी

  अच्छा ही हुआ दिल टूट गया अच्छा ही किया जो तूने किया कहीं मन की कही        सच हो जाती ना दिख पाता हमें        अपना भला   नादाँ है हम        पूछे तुझसे वज़ह कमज़ोर भी है        कहे तुझको बुरा कहीं मन की कही        सच हो जाती चैन दिल का कहीं खो जाता   इक बार फिर से        लगा डूब गए ना दिल समझा        क्या है तेरी रज़ा कहीं मन की कही        सच हो जाती मंजिल का मिटता        नामोंनिशां   इक बार फिर से        आज भटकें है बक्श कर्मों को        फिर हाथ बढा ना मन मर्जी चलने देना सुन अर्ज़ अपनी        साथ रहना खड़ा यही अर्ज़ अपनी        तू रहे साथ खड़ा   श्यामिली

विरह

  तुमसे मिलने को दिल तरसता है जान लेने को सावन बरसता है ना जाने ये अश्क़ क्यूं बहते है जाने क्या क्या हमसे कहते है काश जिंदगी यूँ ही कटती नहीं इतने हिस्सों में बटती नहीं ये दिल यूँ ना उदास होता तुम्हारा साया ही गर पास होता तुमसे मिलने को साँसें क्यूं अटकी है मुस्कुराहटो के   पीछे सूरत ये लटकी है हरदम हम तुमको देखते रहे तुम इधर उधर आँखें सेंकते रहे हम समझे मीलों का रास्ता होगा क्या मालूम था , ना तुमसे वास्ता होगा देख हर कोई अब मुझपे हस्ता है तुम्हारी दिल्लगी के आगे हमारा विरह सस्ता है   फ़िर भी जब जब ये   सावन बरसता है तुमसे मिलने को दिल तरसता है   श्यामिली