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Showing posts from November, 2022

सफर

  बस राहगीर को, देखा किये कभी राह को, मुडके देखा है किसकी, कोई मंजिल है क्या या कर्मो का सब, ये लेखा है   पीछे पीछे, दौड़ते दौडते कब कौन, आगे निकल गया क्या जल्दी है,  जानने की किस हाथ में,  किसकी रेखा है   अब राह ही मंज़िल लगती है अब राह ही,  मंज़िल लगती है उड़ते पक्षी से, सीख लिया थकने पर, घोंसला याद रखे दिन में सोये हुए तुमने , कोई पक्षी क्या देखा है   चींटी उतना ही,  लेती है जितना वो,  उठा पाए सबको लेकर जाती है इक दाना, अगर भी मिल जाये     हम जाने,  किस फ़िक्र में है कौनसा  जाने,  सफर ये है जो मिले,  ना काफी होता है किसी को खुश,  यहाँ नहीं देखा है   श्यामिली

कृष्ण-शरण

Hare Krishna everyone, Hope you are keeping well, as it's Geeta Jayanti time, I sincerely suggest you all to start reading Bhagwat Gita again, so that it can be finished before  December, 3, 2022, Gita Jayanti day. In his speech in Japan, India PM Narendra Modi stated that he has nothing better to give than Bhagvad Gita and world has nothing better to receive than Bhagvad Gita. He added that he gifts anyone and everyone he meets a copy of Bhagvad Gita. So, You can also start distributing BG, and take part in Gita Marathon. Will be looking forward for your participation.    जब भी उसका, मन घबराए पर कुछ उसको, समझ ना आए चाह कर भी, कुछ कर ना पाए तब वो कृष्ण-शरण में जायें   अपना सोचे, दुसरे से पहले कर्म करे , पर दिल ना देहले कोई उसको, कृष्ण राह दिखाए   तब वो कृष्ण-शरण में जायें   कृष्ण को मांगो, सब आएगा जो मन मांगे , सब पाएगा गुरु जो उसको, राह दिखाए   तब वो कृष्ण-शरण में जायें   तुम सब दिया, व्यर्थ ही जानो देंगे बस कृष्ण, मन में ठानों किसी को जब, स

कुछ कर सकते हो

क्या, मेरी, आवाज़ समझ सकते हो इसके, अल्फाज़ समझ सकते हो अगर कह दूँ, की खुश हूँ मैं अगर कह दूँ, की खुश हूँ मैं मेरे ज़ज्बात समझ सकते हो   दिल सीने में छुपा बैठा है दिल सीने में छुपा बैठा है क्या उस तक पहुँच सकते हो ग़मगीन भी है संगीन भी है हालात , बदल सकते हो   कुछ धुंधला धुंधला याद तो है कुछ धुंधला धुंधला याद तो है क्या, याद बदल सकते हो काली काली परछाईयाँ है अपना रूप , बदल सकते हो   ख़ामोशी भी अब तो परेशां है शब्दों का जाल जला सकते हो सन्नाटा भी है, अँधेरा भी है बन, चिराग जल सकते हो   रास्ता तन्हा, कब तक यूँ कटेगा क्या दूर, साथ चल सकते हो ना करके भी, बहुत करने को है कहो ना, क्या कुछ कर सकते हो       श्यामिली 

वक़्त है जनाब, बदल जायेगा

  वक़्त है जनाब, बदल जायेगा कोई तुझको भी, पीठ दिखायेगा बच तो, तू भी ना पायेगा   आज तेरा है, कल मेरा दिन आएगा वक़्त है जनाब, बदल जायेगा   होगी फिर ना, तेरी बात कैसे भी होगें, हालात ना लब पर, तेरा नाम आएगा वक़्त है जनाब, बदल जायेगा   क्या लाया था, जो तेरा था पहले भी तो, रेन बसेरा था हर याद करने वाला, तुझको भुलायेगा वक़्त है जनाब, बदल जायेगा   ना सोच के, तूने क्या पाया ये सोच कि, क्या क्या है खोया समझ फिर भी, ना तुझको आयेगा वक़्त है जनाब, बदल जायेगा   मसला क्या है , समझा तूने ना ना हुआ रूबरू , किया तूने क्या छुप कर, कब तक वार कर पायेगा वक़्त है जनाब, तेरा भी बदल जायेगा   तेरा शुक्रिया, तूने सिखा दिया इंसा का अक्स, फिर दिखा दिया दिल, किस पर, भरोसा कर पायेगा लेकिन वक़्त के साथ, दिल भी, बदल जायेगा     श्यामिली