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Showing posts from September, 2021

तुम्हारा ख्याल

  ख्याल तुम्हारा फ़िर से क्यूँ, मेरे ज़हन में आ गया महफ़िल में फिर ये मुझको बिन आँसू यूँ, रुला गया सुना था, ख्याल से ही कायनात में  गढ़ी जाती है मंज़िलें इस वहम को भी पाला  पर वक़्त सारा ज़ाया गया कितना गढ़ा तुम्हे मैंने , जाने कितना याद किया बता कोई और, फ़िर कैसे बिन मांगे तुमको पा गया   क्यूँ और कब तलक माँगू करूँ और कितनी फ़रियाद मै कितना और दिल ही दिल में रखूँ तुमको अब, याद मै तस्सली ना दे पाओ , अफ़सोस ही करो दो पलो से, हो ही जाऊं अब जाकर आज़ाद मै बिन बांधे, बंधी रही अब तक अब मन क्यूँ मेरा, उकता गया बता कोई और, फ़िर कैसे बिन मांगे तुमको पा गया   नासूर ये कैसा मैंने खुद ही मन ही मन में पाल लिया वक़्त ने देखो तो मेरा कैसा   हाल बेहाल किया नाम तुम्हारे की अब तो   पहचान भी मुझसे रूठ गई ख़याल तुम्हारे ने फिर देखो       मुझको है संभाल लिया बिना तुम्हारे संभली रहीं मै अब ये, कैसा मौसम आ गया बता कोई और, फ़िर कैसे बिन मांगे तुमको पा गया   उम्र ढली है, पर उम्मीद है बाकी       शब् आने के इंतज़ार में है कोई इशारा ही दे दो क

राधा

Wishing everyone, Belated Radhashatmi, May Radha RadhikaRaman bless us all and keep us engaged in Their services. If we need Krishna's blessing, we can only get with Radha's mercy. Though I am not eligible but still I am trying to write few words to glorify Smt Radharani. Need devotees' kind blessings. उन्हीं ने हरपल, है कृष्ण को बांधा जिया है हरपल, उनको आधा प्रेम की हर, सीमा को लांघा हाँ, उन्हीं का नाम है राधा   कृष्ण की ह्लादिनी शक्ति है काम उनका , कृष्ण की भक्ति है प्रेम ही बस, जिसकी हर युक्ति है उन्हीं ने प्रेम की परिभाषा को साधा हाँ, उन्हीं का नाम है राधा   वो एक पुरुष , बाकि सब नारी है राधे का एक गुण, उनपर भारी है कृष्ण को नचाना, उन्हीं की ज़िम्मेदारी है   उन्हीं ने हर रूप में, बस प्रेम को साधा हाँ, उन्हीं का नाम है राधा   वो माखन चोर, वो वृषभान दुलारी है वो नटखट , वो कन्याकुमारी है इनके प्रेम से महके, गोकुल की क्यारी क्यारी है कृष्ण से मिलना है तो, जपो बस राधा- राधा  कृष्ण तक पहुँचने की, सीडी है राधा       कैसा डर , जब

जिंदगी यूं, गुज़र गई

 वक्त की क्या, बात कहें जिंदगी यूं, गुज़र गई मुट्ठी जब, खोल के देखी उम्र रेत सी, फिसल गई कैसी साकी की, चाहत थी जो पलभर में, मचल गई प्यास भी, भुज ना पाई नीयत उसकी फिर, बदल गई पलक भी अपनी, झपकी ना थी नींद कैसे फिर, उड़ गई उम्मीद तो न, की थी कोई मंज़िल कैसे फिर, मुड़ गई समझ नही, आया मुझको खता कौन-सी, थी हो गईं किधर गायब, हुए जज़्बात कैसे मोहब्बत, सो गई सब किया, सब कहा बदमज़गी क्यूं, हो गई काफ़िरों का क्या, ताबीर-ए-ख़्वाब ज़िंदगी फ़िर, दलदल हुई पलक झपकते, दिन ढला  पलक झपकते, शाम गई  साही सूखने, से भी पहले कहानी अपनी, फ़िर बदल गई मुट्ठी जब, खोल के देखी उम्र रेत सी, फिसल गई श्यामिली

दिल बच्चा ही रह गया

 रात का हुआ दिन  दिन से फिर रात हुई  मन ख्वाहिशों से ग्च्चा ही रह गया  उम्र तो मेरी ढल गयी  पर दिल बच्चा ही रह गया  कुछ दोस्त मिले दोस्त के रूप में  छाओ करते रहे कड़ी धूप में शाम ढली तो  शाम ढली तो  मिले नए रुप में ज्यों ज्यों मुँह की कालिक बड़ी  दोस्ती का रंग कच्चा ही रह गया  उम्र तो मेरी ढल गयी पर दिल बच्चा ही रह गया खुदा बक्श दे उस शक्स को  उसके हजाऱों अक़्स को जो मिलता रहा,  पर था जुदा उसके दिल में बसे हर रश्क को दिल  आज भी ना माना वो झूठा था, हां, था वो झूठा, पर मेरे लिए सच्चा ही रह गया उम्र तो मेरी ढल गयी  पर दिल बच्चा ही रह गया आज आंख मेरी, क्यूं भर आयी है दगाबाजों से ही दगा खाई है उम्र के साथ काश बड़े हो जाते अब होठों पे हरदम मेरे दुहाई है अब ना साथ है कोई, क्या कोई दिल दुखायेगा दिल अकेला ही था, अकेला अच्छा ही रह गया उम्र तो मेरी ढल गयी  पर दिल बच्चा ही रह गया श्यामिली