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Showing posts from July, 2020

क्यूँ आँख मेरी ना सोये

Hi Guys, Hope you all are keeping well, my today's creation is based on beher of a bollywood song, Moh Moh ke dhage, hope you will enjoy it, do let me know क्यूँ आँख मेरी ना सोये       क्यूँ तेरे सपने पिरोये   क्यूँ आँख मेरी ना सोये       क्यूँ तेरे सपने पिरोये   ना मेरा तू कभी भी था       मन तेरे पीछे क्यूँ होये  क्यूँ मन हुआ है बेचारा ॰॰॰॰॰ क्यूँ मन हुआ है बेचारा       क्यूँ दर्द धड़कन में होये क्यूँ आँख मेरी ना सोये       क्यूँ तेरे सपने पिरोये   ना मेरा तू कभी भी था       मन तेरे पीछे क्यूँ होये  हुआ मैं बड़ा घायल       है जबसे ये सुना हुआ मैं बड़ा घायल       है जबसे ये सुना कैसे होगा दिन ढला होगा दिन ढला               कैसे उजाला था हुआ हुआ मैं बड़ा घायल       है जबसे ये सुना वो दिन डूबा , और शाम       भी ना आई , छाई है कालीमा यहाँ क्यूँ आँख मेरी ना सोये       क्यूँ तेरे सपने पिरोये   ना मेरा तू कभी भी था       मन तेरे पीछे क्यूँ होये  ओ मेरी मीठी बातें       तो रह गई अनक़ही मेरी मीठी बातें       तो

मुरली मनोहर, कृष्ण गिरधारी

मुरली मनोहर ,  कृष्ण गिरधारी              हर रूप में लगे ,  तेरी लीला न्यारी जब भूले तुझको ,  कोई नर नारी              फ़िर होगा कैसे ,  मोक्ष का अधिकारी मुरली मनोहर ,  कृष्ण गिरधारी              हर रूप में लगे ,  तेरी लीला न्यारी तुम जैसा ना कोई होगा , कृष्ण कन्हैया              हर रूप में लगे मोहक , बंसी बजैया तुम जैसा ना कोई होगा , कृष्ण कन्हैया              हर रूप में लगे मोहक , बंसी बजैया तुम साथ थे सदा ,  क्यूँ मैं जान ना पाई तुम साथ थे सदा ,  क्यूँ मैं जान ना पाई              हर पल में तुझको, याद करूँ , अब   बांके बिहारी मुरली मनोहर ,  कृष्ण गिरधारी              हर रूप में लगे ,  तेरी लीला न्यारी ओ कान्हा मेरी जन्मो की प्यास बुझाजा              मेरे रोम रोम में , आके प्रेम , जगाजा ओ कान्हा मेरी जन्मो की प्यास बुझाजा              मेरे रोम रोम में , आके प्रेम , जगाजा कोई लीला मेरे संग भी कर ओ गोविन्द कोई लीला मेरे संग भी कर ओ गोविन्द              खड़ी सदके मे तेरे मै वारी-बलिहारी मुरली मनोहर ,  कृष्ण गिरधारी              ह

काश

किसीके फिक्र से बोझिल थी आँखे             काश काम, वो किसीके आती काश, कुछ ऐसा ही , हो जाता             कुछ “उसकी मैं” थोड़ी सी, बह जाती काश वो कुछ, अपनी भी कहते             काश मेरी कही भी, कुछ रह जाती अपनी तो कहानी, रह गई अनकहीं दास्ताने मोहब्बत, फ़िर कैसे कहलाती पड़ाव यूँ ही , पग पग पर             क्या पता था , आते ही जायेंगे हम मोड़ पर, देखते खड़े रहेंगे             वो छोड़-छोड़, फिर चले जायेंगे इम्तिहान ना मेरा , और लो                अब सांस भी मुझको , नहीं आती काश वो कुछ, अपनी भी कहते             काश मेरी कही भी, कुछ रह जाती बाद मुद्दत्तो के था , वो मुझको मिला             सोचा था, थोड़ा फ़ासला आया होगा अश्कों को था, ना जाने क्या हुआ             सैलाब के सैलाब को, कैसे मैंने सुखाया होगा    तुझे इस कदर से, याद किया है मैंने                   तेरी याद भी, अब नहीं आती अपनी तो कहानी, रह गई अनकहीं दास्ताने मोहब्बत, फ़िर कैसे कहलाती अँधेरा ना जाने, छाया है कैसा             दस्तानों से घिरी है हर जुबाँ राह पर छाया है, कोहरा क्यूँ

मेरा ख्वाब

आ गया वो दिन था जिसका इंतज़ार वो बहार किधर गई, जो रही थी मुझको निहार रह रह कर क्यूँ सफ़र फ़िर याद आता है अब ना कोई है रास्ता, ना कोई भाग्य विधाता है सोचा था आराम होगा,             कुछ सुकूं भी मिलेगा बचपन जवानी चाहे ना मिली             बुढ़ापा तो चका चक खिलेगा लेंगे फ़िर फुरसत में             हम प्रभु का नाम खेलेंगे पोते पोतियों से             अभी करले कुछ काम चंद नोट और जेबों में डालें             अगली पुश्तों का पैट भी भरलें कुछ जमीं तो नाम है अपने             थोड़ी सी कुछ और भी करलें आज ये सब पास है मेरे             ना किसीका रहा इंतज़ार अब खाली मन खाली घर है             ना देखे दिखे वो बहार है सोफ़ा मेज़ पलंग सोने का             पर भूख प्यास ना मन बचा है महंगे कपड़े, महंगा सामान             सोने चांदी से घर जचा है क्या यही थी मेरी             जीवन भर की ख्वाहिशे खाली हाथ, बिना कोई साथ                 कौन अब पूरी करें फरमाईशें मुझे लगा, मैंने सबसे             कभी तो था, खूब निभाया आपके पास कब समय था