मन का शोर
इतना शोर क्यूँ है भाई इतना शोर क्यूँ है भाई सुबह से शाम, होने को आई मेरा दिल टूट के बिखर गया और आवाज़, किसीको ना आई क्यूँ आँख, मेरी गीली है हँसी मेरी , किसने ले ली है ए दोस्त, तू भी लापता है देख तनहा, तेरी सहेली है एक मुस्कान, ना मेरे चेहरे पे आई दूर तलक, फैल गयी तन्हाई मन में इतना, शोर क्यूँ है भाई मन में इतना, शोर क्यूँ है भाई मेरा दिल, टूट के बिखर गया और आवाज़, किसीको ना आई आज शब्द नहीं, है पास मेरे ख़ामोशी का मंज़र, क्यूँ मुझको खड़ा है घेरे दर्द की सारे इम्तिहान, पार हो गए मुझको टूटने से बचालो, कोई तो यार मेरे टूटते टूटते आज, तुमको गुहार है लगाई काश तू लौटे, उम्मीद फिर दिल ने लगाई सुबह से शाम, होने को आई मेरा दिल, टूट के बिखर गया और आवाज़, किसीको ना आई आज, यहाँ, शब्दों की हड़ताल है बदला तेरा रूप, बदली हुई तेरी चाल है दिल में मचा, मेरे क्यूँ हूड़दंग है दाल में काला है, या काली तेरी दाल है हर एक ...