खुद रूठे, खुद मने हम
दर्द से दर्द क्या, कहे हम तू हो जो ना पास , क्या करें हम कहकर खुद से ही, खुद की बात खुद रूठे, खुद मने हम तू पास बैठे, तो बात भी करें किसी शाम को , रात भी करें क्यूँ ख़ामोशी भी चली आती है, तेरे आने के साथ तू हाल तो पूछ, या बेजुबां ही मरे कंधा, मिल ना सकेगा तेरा अब बस यही, रहेगा गम कहकर खुद से ही, खुद की बात खुद रूठे, खुद मने हम हाँ मुझे, याद है वादे तेरे सरपरस्ती के वो, सारे इरादे तेरे आज फिर याद, क्यूँ आई है क्यूँ यादों के बादल, है मुझको घेरे हाल तेरा, अपने हाल सा कब होगा कुछ कहकर देख , ना मुडकर आयेंगे हम कहकर खुद से ही, खुद की बात खुद रूठे, खुद मने हम तूने पूछा तो, अच्छा ही कह दिया हाल कैसा भी था , जस्बातों में बह गया क्या होगा जब, नज़र नज़र से मिलेगी ये सोच , दिल की, आज ही कह दिया होगा फिर वीरानियों का साथ जानता है दिल , क्यूँ फिर ठने मन कहकर खुद से ही, खुद की बात खुद रूठे, खुद मने हम श्यामिली