कुछ ना कुछ तो हुआ होगा

 


कैसे कब कुछ हुआ होगा

जब तूने पहले छुआ होगा

याद नहीं है कुछ तो बोलो

कुछ ना कुछ तो हुआ होगा

 

बिन बात के मुस्कुराना मेरा

खुद रूठना खुद मनाना तेरा

कुछ ओस की बुँदे गिरने पर

जा जाकर लौट आना तेरा

यादों का घाव फिर हरा होगा

कुछ ना कुछ तो हुआ होगा

 

मुरझाई मुरझाई सी यादें है

थकी थकी सी मुलाकातें है

बैचैन सी रूह हुई जाती है

धुंधली हुई अब रातें है

मायूसी ने फिर छुआ होगा  

कुछ ना कुछ तो हुआ होगा


कुछ रंग अभी भी बाकी है

ना मय रही पर साकी है

बचपन फिर से ढूंढकर देखें

आँखों ने तो उम्रे ताकी है  

आग भी मिलेगी गर धुआं होगा

कुछ ना कुछ तो हुआ होगा

 

दिल बचपन बचपन चिल्लायें अब

लगे पंछी बन उड़ा जाये अब

कुछ फुर्सत के फिर लम्हें हो

पर दिन वो कहाँ से लायें अब     

ना सोचो बीते लम्हों को

मुठ्ठी में क्या क्या दबा होगा

ना शुरू करो शुरूआत से

हर मोड़ पर हर लम्हा होगा   

कुछ ना कुछ तो हुआ होगा

 

 

श्यामिली


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