फासलों का मतलब दूरी नहीं

 

क्यूँ याद नहीं आई मेरी

क्या होगी मज़बूरी तेरी

दूर हो कर भी, हूँ दूर नहीं  

फासलों का मतलब दूरी नहीं

 

लगता तो है

की भूल गए

वक़्त बीता  

हम भी बीत गए

बस हाथ बढ़ाने की

देरी थी

मंजर फिर से

वही जीत गए  

देर बहुत तो

करदी है

हुई इतनी भी

देरी नहीं

इक कदम बढ़ा कर

तो देख

फासलों का मतलब

दूरी नहीं

 

तू यही कहीं

आस पास है

हाँ आज भी जिंदा

एहसास है

उम्र के साथ

बदल जाये जो

ऐसी नहीं

मेरी प्यास है

आज़माने को फिर

आज़माले तू

उम्र और दोस्ती

दोनों का ढलना ज़रूरी नहीं

हाँ हाथ फिर

बढ़ा कर तो देख

क्यूंकि फासलों का मतलब

दूरी नहीं

 

 

श्यामिली 

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