Welcome winters, Welcome SARSO
आज फिर घिया बना कल बनेगा फिर साग सामने पड़ी थाली देख मैंने छेड़ा फिर अपना राग माँ तो पर आज, कुछ अपने मिजाज़ में थी बोली , कल क्या बनालूँ क्या तुमको चलेगी मैथी मेरा तो था अब सिर चकराया माँ ने फिर तेवर दिखाया खाना ख़त्म करो, सो जाओ जो चाहो खरीद लाओ चलो तुम, करो कुछ काम कल मंडी घूम कर आओ अभी पैर पड़ा ही था मंडी में पीछे से गुहार आई मुडके देखा जो पीछे इक रेडी ने थी धूम मचाई किसी को ना कुछ दिखा था सब लगे थे अपना अपना जागते जागते सोया था मै या देख रहा था कोई सपना करेले और भिन्डी की गजब की आज हुई लड़ाई टू कड़वा , टू अकडू , दोनों की थी आवाज आई मैंने सोचा चलो कुछ अच्छा करते है इनको दूँ मैं समझा ना झगड़ा किया करते है जुंही मैंने हाथ उठाया घिया मुझको काटने को आया बोला क्या तेरा बिगाड़ा था क्यूँ था तूने मुंह बनाया इतने में आ गई मैथी टूट टूट कर मुझपर बिखरी क्या जाता है तेरा बोली क्या मै नहीं लगती हूँ निखरी इतने में फ...