Welcome winters, Welcome SARSO

 

आज फिर घिया बना

कल बनेगा फिर साग

सामने पड़ी थाली देख

मैंने छेड़ा फिर अपना राग

 

माँ तो पर आज, कुछ

अपने मिजाज़ में थी

बोली, कल क्या बनालूँ

क्या तुमको चलेगी मैथी

 

मेरा तो था अब

सिर चकराया  

माँ ने फिर

तेवर दिखाया

 

खाना ख़त्म करो, सो जाओ

जो चाहो खरीद लाओ

चलो तुम, करो कुछ काम 

कल मंडी घूम कर आओ 

 

अभी पैर पड़ा ही था मंडी में

पीछे से गुहार आई

मुडके देखा जो पीछे

इक रेडी ने थी धूम मचाई

 

किसी को ना कुछ दिखा था

सब लगे थे अपना अपना

जागते जागते सोया था मै

या देख रहा था कोई सपना

 

करेले और भिन्डी की

गजब की आज हुई लड़ाई

टू कड़वा, टू अकडू,

दोनों की थी आवाज आई

 

मैंने सोचा चलो

कुछ अच्छा करते है

इनको दूँ मैं समझा

ना झगड़ा किया करते है

 

जुंही मैंने हाथ उठाया

घिया मुझको काटने को आया

बोला क्या तेरा बिगाड़ा था

क्यूँ था तूने मुंह बनाया

 

इतने में आ गई मैथी

टूट टूट कर मुझपर बिखरी

क्या जाता है तेरा बोली

क्या मै नहीं लगती हूँ निखरी

 

इतने में फिर गोभी आई

मेरे सर पर दौड़ लगाई

पीछे पीछे थी शिमला मिर्ची

गाल मेरे पर चपत लगाई

 

टिंडा पैर पर लोट गया

बोला मुझे भी ले ले तुम

अरबी बोली नाराज़ हो क्या

मेरे दिल से ना खेलो तुम

 

मेरा दिल

दर्द में डूब गया था

पाव पाव से थैला

पांच किलो का भर गया था

 

सोचा था क्या क्या

खूब नया मैं लाया हूँ

अब बताऊंगा मुम्मी को

मंडी हो कर आया हूँ

 

कल खाऊंगा

खूब शाही खाना

होगी वाह वाह

ख़ुशी का ना होगा ठिकाना

 

रसोई मे गिरे बर्तन

फिर एक हुआ धमाका

साग ही साग था हर और

साग का जैसे लगा था ताँता

 

माँ बोली किघर गया

अब तेरा राग़

पहले ही घर में

पांच किलो पडा है साग

 

मैंने सुनाया, अपना गाना

करेला कडवा, बैगन बैगाना

भिन्डी अकडू, ना खाऊ मै    

टिंडा बेगैरत, ना घर में पकाना

 

गोभी, शिमला मिर्च

मुझको ना भाए

रोज़ रोज़ अब कैसे कोई

घिया और अरबी को खाए  

 

एक एक करके

सबको छोड़ता मै गया

पाव पाव कर 

साग ही भरता मै गया 

 

समझ आ गई थी

मुझको अब सारी कहानी

क्यूँ सरसों का साग था

बचपन से अपना दिलजानी

 

दोस्ती हो गई अब

उम्र भर की बिलकुल पक्की

सरसों का साग़ और मक्खन 

साथ में रोटी होगी मक्की

 

श्यामिली

Comments

  1. I ❤ Makki ki roti sarso ka saag 😋 Happy Winters

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  2. बहुत सुंदर सरल और सुसज्जित ज्ञान वर्धक कविता , 👍👍👍👍

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