मन की बात

 

हम हम नही होते,

गर ये सितम ना होते

ये सिखा इतने बरसो में

शिकवे गिलों से कम नहीं होते

 

कभी हम ना मिलेंगे

कभी वो ना आ पाएंगे

वक़्त बीतता जाएगा

पर लम्हें है की, खर्च नहीं होते

 

किसने क्या कब कहा

या कौन कब चुप रहा

कुछ याद तो नहीं है, मगर  

उस शोर के सन्नाटे, कम नहीं होते    

 

काफिराना सी

हो गई है जिंदगी

ना चाहत मंजिल जी,

ना ख़बर डगर की

पर ये जाना पहचाना सा इत्र 

हवा में क्यूँ है 

कहीं भी हूँ,

रूह से रूह के फासलें नहीं होते

 

 

श्यामिली

Comments

  1. Replies
    1. हर परिच्छेद में अलग अलग संदेश है और आजकल के युग में यथार्थ है
      बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति !!!

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  2. Sheetal u r blessed and God showered u with lots and lot versatility. Keep doing good work rgds Sanjeev Tognatta

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  3. Deep thoughts, versatile borderless vocabulary
    MPS

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  4. Great 👍👍👍👍

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  5. किसने क्या कब कहा
    या कौन कब चुप रहा
    कुछ याद तो नहीं है, मगर  
    उस शोर के सन्नाटे, कम नहीं होते    
    बहुत ही सुन्दर...लाजवाब

    ReplyDelete

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