मन की बात
हम
हम नही होते,
गर
ये सितम ना होते
ये
सिखा इतने बरसो में
शिकवे
गिलों से कम नहीं होते
कभी
हम ना मिलेंगे
कभी
वो ना आ पाएंगे
वक़्त
बीतता जाएगा
पर
लम्हें है की, खर्च नहीं होते
किसने
क्या कब कहा
या
कौन कब चुप रहा
कुछ
याद तो नहीं है, मगर
उस
शोर के सन्नाटे, कम नहीं होते
काफिराना
सी
हो
गई है जिंदगी
ना
चाहत मंजिल जी,
ना
ख़बर डगर की
पर
ये जाना पहचाना सा
हवा में क्यूँ है
कहीं
भी हूँ,
रूह
से रूह के फासलें नहीं होते
श्यामिली
Nice 👌👏
ReplyDeleteहर परिच्छेद में अलग अलग संदेश है और आजकल के युग में यथार्थ है
Deleteबहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति !!!
Sheetal u r blessed and God showered u with lots and lot versatility. Keep doing good work rgds Sanjeev Tognatta
ReplyDeleteDeep thoughts, versatile borderless vocabulary
ReplyDeleteMPS
Very true Madam
ReplyDeleteGreat 👍
ReplyDeleteGreat 👍👍👍👍
ReplyDeleteकिसने क्या कब कहा
ReplyDeleteया कौन कब चुप रहा
कुछ याद तो नहीं है, मगर
उस शोर के सन्नाटे, कम नहीं होते
बहुत ही सुन्दर...लाजवाब
Great 👍 Mam
ReplyDeleteVery touching!
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