कुछ कर सकते हो
क्या,
मेरी, आवाज़ समझ सकते हो
इसके, अल्फाज़ समझ सकते हो
अगर
कह दूँ, की खुश हूँ मैं
अगर कह दूँ, की खुश हूँ मैं
मेरे
ज़ज्बात समझ सकते हो
दिल
सीने में छुपा बैठा है
दिल सीने में छुपा बैठा है
क्या
उस तक पहुँच सकते हो
ग़मगीन भी है संगीन भी है
हालात, बदल सकते हो
कुछ धुंधला धुंधला याद तो है
कुछ धुंधला धुंधला याद तो है
क्या, याद बदल सकते हो
काली
काली परछाईयाँ है
अपना रूप, बदल सकते हो
ख़ामोशी
भी अब तो परेशां है
शब्दों का जाल जला सकते हो
सन्नाटा भी है, अँधेरा भी है
बन, चिराग जल सकते हो
रास्ता
तन्हा, कब तक यूँ कटेगा
क्या दूर, साथ चल सकते हो
ना
करके भी, बहुत करने को है
कहो ना, क्या कुछ कर सकते हो
श्यामिली
Good one 🍍🥥🥥🥥🥥
ReplyDeleteNyc 👍 Hare Krishna ma'am 🙏
ReplyDeleteशब्दों का जल जला सकते हो,
ReplyDeleteअद्भुत लाइन Madam ,
👍👌👏👏👏
ReplyDelete
ReplyDeleteना करके भी, बहुत करने को है
कहो ना, क्या कुछ कर सकते हो...इस कविता के इस प्रश्न में बहुत ही गहराई है...
shabdo ki maala bahut behtereen hai 👏👏
ReplyDelete