दुश्मन वो नही है जो सामने से वार करे दुश्मन वो नही है जो सामने से सत्कार करे दुश्मन तो दिल में बेठा है अंदर ही अंदर एंठा है दुश्मन वही है जो हमें अंदर से ही ख़ार करे शीतल खुराना
ना जाने क्यूँ, हो गयी मैं बड़ी ये कैसा है जीवन, कैसी आयी है घड़ी दिल मेरा, रहता, बेचैन क्यूँ है रस्ते पे, बिछे रहते, ये नैन क्यूँ है जाने कहाँ बचपन, रह गया पीछे ना साथ रहा माँ का, ना दौड़े वो पीछे वक़्त आगे चला, मैं रह गयी खड़ी ना जाने क्यूँ, हो गयी मैं बड़ी अब सफ़र अपना, दिन-रात का है मुँह से निकली , हर बात का है कोन ना जाने कब, किसको सिखादे ...
Thank a lot to all of you guys who could find time to wish me. As you know its my birthday week, So this one is a birthday gift to myself. This is also dedicated to all those who are not able to enjoy my Hindi poetry. I am hearing gossips, all around Source is difficult, to be found Gosh discussion, are going dirty It’s like that, she is turning forty For few ppl, m a pure soul Finding faults, is someone’s goal For my kids, m always sporty All are saying, you are turning forty Hardly matters, long time chatters ...
दास्ताने इश्क़ है ये अपनी ये ना कभी, रवाँ होती है उम्र तो ढलती ही, जाती है मोहब्बत और जवाँ होती है ये कैसे मान लें हम क़ातिल है नज़र तेरी घड़ी भर देखलो, जो हमको -2 ज़ख़्म पे अब-भी, दवा होती है दास्ताने इश्क़ है ये अपनी ...
Dushman to koi nahi
ReplyDeleteApna bhi koi nahi
Sab tho tere hain
Hum kisi ka nahi
Good one
ReplyDelete