सुना हैं, राम आएँगे
देखो फिर दिवाली आयी
रंग बिरंगी फ़ुलझड़ियाँ लायी
ख़ुशियों के दीप, हम जलाएँगे
सुना हैं, राम आएँगे
दुल्हन बन गयी
वो जो सूनी एक, गली थी
फिर खिल सी उठी
जिस आँख में नमी थी
फिर ख़ुशियों के गीत गुनगुनाएँगे
सुना हैं, राम आएँगे
किसी के घर दिया
अब की बार भी जला नहीं
किसी के घर जश्न
अब भी ख़त्म हुआ नहीं
पैसा फिर, पानी में बहाएँगे
सुना हैं, राम आएँगे
धुँए में ही खो गई
हर तरफ़ जो हरयाली थी
धुँआ धुँआ सी हो गयी
वो सुबह जो, अब तक उज़ाली थी
अब मिलकर सब, सबकी ग़लती बताएँगे
सुना हैं, राम आएँगे
चलो कुछ उसूल बनाए, आज
समाज का बीड़ा उठाएँ, आज
पैसा जितना बहायें, उतना तो उपजाएँ
भूखों को कुछ, खाना ही खिलाए आज
हवा को गर स्वस्त बनाएँगे
सुना हैं शायद, तभी, राम आएँगे
शीतल खुराना
Nice lines didi !!
ReplyDelete@pankaj
Thank you ji
DeleteProud daughter, heh;)
ReplyDelete🙏🙏
DeleteBeautiful lines di! ⭐
ReplyDeleteVery nice stay blessed
ReplyDeleteShukriya
DeleteMam, AAP k saath compete karne wala naa to paida hua h Naa hi kabhi hoga.
ReplyDeleteVikram
🙏
DeleteSuperb Di
ReplyDeleteApna naam toh bta do
Deletenice poem also explaning disadvantages of Diwali which most people did not care about.
ReplyDeleteLet's start it
DeleteNice lines
ReplyDelete🙏
DeleteThank you ji
ReplyDeleteGrt thoughts Mam 👍
ReplyDeleteLoved it.. especially the last few lines.. super awesome
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