ये बात और है






ये बात और है, 
                     कि वो मुस्कुरा के मिला
ये बात और है, 
                     ना कर पाए कोई, उससे गिला
रूठ गए कभी -2,  
                    तो ख़ुद मान भी गए
ये बात और है, 
                    तनहा ही चला अपना क़ाफ़िला


वो दिन भी और थे, 
                   हरदम था मेरा नशा
सैलाब था दिल में, 
                   हँसी में थी कहकशॉ
ना मिल जाए कहीं,  
                   उसने रास्ते ही बदल लिए
ये बात और है, 
            ना रुका, 
                   ज़स्बातों का सिलसिला
   

वो रात और थी, 
                   तोड़े थे जब, तारे मेरे लिए
वो मुलाक़ात और थी, 
                   मीलों थे संग चले, मेरे लिए
खाई थी मिलके क़समें, 
                  साथ था उम्र भर का
ये बात और है, 
        जीवन बीत गया, 
                  ना वो इक पल, फिर मिला    



         शामिली

Comments

  1. Very nice 👌👌👌👏👏👏👏
    @pankaj pujara

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  2. Madam,बहोत ही खूब लिखा है
    @vikram

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  3. मुझसे मिलने आए और दूर जाके बैठ गए,
    हमने भी कुछ सोचा फिर मुस्कुराके बैठ गए.

    उसने पूछा था मुझसे ज़िन्दगी क्या है बताओ ना,
    रेत का इक घर बनाया फिर उसको ढहाके बैठ गए.

    जाते हुए कहा था उसने खुदको सजा-धजा के रखना,
    सो आँखों के मन्दिर में हम अश्क सजाके बैठ गए.

    मुझको सच मालूम था पर क्या उसको रुसवा करते,
    अपनी मौत का इल्ज़ाम भी हम खुदपे ही लगाके बैठ गए.

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  4. Sheetal
    It is excellent.
    Keep it up.

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  5. Very nice lines

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  6. ये बात और है
    जीवन बीत गया
    ना वो इक पल फिर मिला ... दिल को छू गया श्यामली जी 👌👌

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