उम्र कटी तो, आया समझ, दर्द होने में, ना कोई हर्ज है





ये दर्द की कहानी है
दर्द ही की बज़्म है
उम्र कटी तो, आया समझ
दर्द होने में, ना कोई हर्ज है

तू मुझे मिल जाएगा
कैसे मान लिया दिल ने
तेरा जाना ही तो
ज़िंदगी की तर्ज़ है
उम्र कटी तो, आया समझ
दर्द होने में, ना कोई हर्ज है

बेफ़िज़ूल की, जो रातें गयी
बेफ़िज़ूल की, जो बातें कई
तेरा आना, तेरा जाना
ख़ुद दवा, ख़ुद मर्ज़ है
उम्र कटी तो, आया समझ
दर्द होने में, ना कोई हर्ज है

ख़ुद ख़ुदा को भी भूल गए
क्या करें, शिकवा कभी
तेरे पल भर का प्यार,
मुझपे, जैसे क़र्ज़ है
उम्र कटी तो, आया समझ
दर्द होने में, ना कोई हर्ज है

जो दिल ने कहा, ना सुना कभी
जो दिल ने लिखा, ना पढ़ा कभी
आख़िरी साँस से ही पहले, फ़ैसला तो दे
ता उम्र का मामला मेरा दर्ज है
उम्र कटी तो, आया समझ
दर्द होने में, ना कोई हर्ज है

 श्यामिली


Comments

  1. Madam, बहोत ही बढ़िया,,, हर बार दिल के पार.


    हर पल मुस्कुराओ, बड़ी “खास”
    हे जिंदगी…!
    क्या सुख क्या दुःख ,बड़ी “आस”
    है जिंदगी… !
    ना शिकायत करो .ना कभी
    उदास हो.
    जिंदा दिल से जीने का “अहसास”
    हे जिंदगी…..!!

    @vikram

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  2. Umar Kati to aaya samajh, Kya maza hai dard samethnain main, very nice poem mam.

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  3. ख़ुद ख़ुदा को भी भूल गए
    क्या करें शिकवा कभीतेरे पल भर का प्यार जैसे क़र्ज़ हैउम्र कटी तो आया समझदर्द होने में ना कोई हर्ज है ...जिंदगी की सच्चाई बयां कर दिया ..श्यामली जी आपने ..

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