उम्र कटी तो, आया समझ, दर्द होने में, ना कोई हर्ज है
ये
दर्द की कहानी है
दर्द
ही की बज़्म है
उम्र
कटी तो, आया समझ
दर्द
होने में, ना कोई हर्ज है
तू
मुझे मिल जाएगा
कैसे
मान लिया दिल ने
तेरा
जाना ही तो
ज़िंदगी
की तर्ज़ है
उम्र
कटी तो, आया समझ
दर्द
होने में, ना कोई हर्ज है
बेफ़िज़ूल
की, जो रातें गयी
बेफ़िज़ूल
की, जो बातें कई
तेरा
आना, तेरा जाना
ख़ुद
दवा, ख़ुद मर्ज़ है
उम्र
कटी तो, आया समझ
दर्द
होने में, ना कोई हर्ज है
ख़ुद
ख़ुदा को भी भूल गए
क्या
करें, शिकवा कभी
तेरे
पल भर का प्यार,
मुझपे,
जैसे क़र्ज़ है
उम्र
कटी तो, आया समझ
दर्द
होने में, ना कोई हर्ज है
जो
दिल ने कहा, ना सुना कभी
जो
दिल ने लिखा, ना पढ़ा कभी
आख़िरी
साँस से ही पहले, फ़ैसला तो दे
ता
उम्र का मामला मेरा दर्ज है
उम्र
कटी तो, आया समझ
दर्द
होने में, ना कोई हर्ज है
श्यामिली
Good one
ReplyDeleteThanku Sir
DeleteVery nice ji keep it up
ReplyDelete👏👏👏
ReplyDeleteMadam, बहोत ही बढ़िया,,, हर बार दिल के पार.
ReplyDeleteहर पल मुस्कुराओ, बड़ी “खास”
हे जिंदगी…!
क्या सुख क्या दुःख ,बड़ी “आस”
है जिंदगी… !
ना शिकायत करो .ना कभी
उदास हो.
जिंदा दिल से जीने का “अहसास”
हे जिंदगी…..!!
@vikram
Umar Kati to aaya samajh, Kya maza hai dard samethnain main, very nice poem mam.
ReplyDeleteख़ुद ख़ुदा को भी भूल गए
ReplyDeleteक्या करें शिकवा कभीतेरे पल भर का प्यार जैसे क़र्ज़ हैउम्र कटी तो आया समझदर्द होने में ना कोई हर्ज है ...जिंदगी की सच्चाई बयां कर दिया ..श्यामली जी आपने ..
Gr8
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