रब दाँ पुँचू, फडयाँ है तू
चारों पास्से घिरयां है तू
किद्दे डर तो, डरयाँ है तू
चल, खंडा हो, अड़याँ ना कर
रब दाँ पुँचू, फडयाँ है तू
ओद्दा लिख्या, ओईयो जाणे
कर्म ने साड्डे, क्यूँ ना माणे
रब नू चेतें, रखया कर तू
ओद्दे अग्गे, अस्सी फ़ुल निमाणे
समा ऐ बन्धयाँ, है तेरे भाणे
बेकें खटलें, जे साड्डी माणे
कर्म दी खटनी, है खटकें जाना
कर्माँ वरगे, ही मिल्णगे दाँणे
ख़ोटें ना कर, ज़ेड़े कर्म ने क़ीते
लग्या रे, जिन्नेवी, सावण बीतें
समा मुड़के, ना आणा पीछछें
खुलके जीं लें, क्यूँ मरणा जीतें
बेज़ा कल्ले, ते हो जा यमला
छेती छेती, होवेंगा कमला
साड़े वरगे, कुछ, यार बनाले
वरना कुछना, रवेगा संबलॉ
श्यामिली
बहुत खूब लिखा है आपने
ReplyDelete👌👌
ReplyDeleteKya likhte ho de awesome
ReplyDeleteThanks veere
DeleteMadam, jaha hamari soch khatam hoti hai waha se aapki soch start hoti hai.
ReplyDeleteBahot hi badiya likha hai aapne
Har baar pehle se bht behter.
@vikram
Madam, itna achha kaise likhte ho, itna badiya likha h ki jitni bhi tareef ki jaaye utni hi Kam hai
ReplyDeleteVikas
Woooow Mam.... multi- talented... awesome lines written with deep heart feelings...
ReplyDeleteSoooooooooo Goooooooood !!!!!
ReplyDeleteVery nice
ReplyDeleteGood one
ReplyDeleteFriends always:-)
हिंदी के साथ साथ पंजाबी में भी.. बहुत खूब
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