नी बिल्लों
होंण ताँ मिट्टी, पॉ नी बिल्लों मन नू ना ललचा, नी बिल्लों अध्धी रातीं, क्यूँ खप पॉनी ए रब दाँ ध्याँ, होंण लॉ नी बिल्लों ना साड्डे वरग़े, तूने यार मीलनगे कई मखोठे, कई कारोबार मीलनगे जिन्ना जीताँ, उन्ना ही खटया अस्सी किस्सयाँ विच हर बॉर मीलॉगे होंण रूठ्या यार, मणा नी बिल्लों पत्थर देलनू, होंण पिंगला नी बिल्लों यारां दें यार, अस्सी हाँ दिलदार क़द्दी यारों तो देल ख़ुल्वा नी बिल्लों होंण ताँ मिट्टी, पॉ नी बिल्लों मन नू ना ललचा, नी बिल्लों ख़पदी ख़पदी तू मेट जाँणा एँ पायाँ फेर क्यूँ, पागलख़ाणा एँ एदर दीं उदर, तूँ करयाँ ना कर तूँ वी एक दिन मूक जाँणा एँ देलदे मैल होंण, लॉ नी बिल्लों देल नू क़ूछ समझां, नी बिल्लों ख़ुलके ज़ीले, खूल्क़े ग़ाले मन नू होंण, चमक़ा नी बिल्लों होंण ताँ मिट्टी, पॉ नी बिल्लों मन नू ना ललचा, नी बिल्लों अध्धा ख़ाणा, ते अध्धा बचाणा धीयाँ पुत्रा दाँ, छ्ढ़ मोह तू पाणा तेरी मर्ज़ी, जेड़ा रस्ता चुनलें एक दिंन सबने, भूल तेनू जाणा अपना देल, ना होर जला, नी बिल्लों भूझदी अग, ना सुलग़ा नी बिल्लों कर्म जिन्नादे ओ भुग़त लवणग़े क़लेज़े ठंडक,पाँ नी बि...