दास्ताँ
कैसे कहूँ, बनी क्या दास्ताँ
क्या
दिल को मिला, थी किसकी रज़ा
कैसे हुई, ये जिंदगी
तुम
थे या लगी, थी कोई दुआ
तुम थे या महकी, थी
वो फिज़ा
तुम
थे या हँसी,
धीमे से आई थी
तुम थे या बरसी थी वो घटा
तुम
थे या नमीं आँख में छाई थी
तुम थे या था, कोई
सूरज ढला
तुम
थे या था, छाया हुआ था नशा
कैसे कहूँ, बनी क्या दास्ताँ
क्या
दिल को मिला, थी किसकी रज़ा
तुम थे या, गूंज हवाओं में थी
तुम
थे या, तीर मेरी निगाहों में थे
तुम थे या आह कोई, आहों में थी
तुम
थे या कोई बरकत दुआओं में थी
तुम थे या था कोई रस्ता मिला
तुम
थे या मिला था नूर नया
कैसे कहूँ, बनी क्या दास्ताँ
क्या
दिल को मिला, थी किसकी रज़ा
कैसे हुई, ये जिंदगी
तुम
थे या लगी, थी कोई दुआ
श्यामिली
बहुत सुंदर
ReplyDeleteBeautiful creation di ..��
ReplyDeleteNice lines
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर!
ReplyDeleteVery nice
ReplyDelete👌👌
ReplyDelete"Do Pal" mine 2 👍 Lovely 👌
ReplyDeleteBeautiful bhabhi
ReplyDeleteGreat
ReplyDeleteवाह मैडम बहोत ही बढ़िया प्रस्तुति
ReplyDeleteNo words to express, दो पल
क्यूकी जिंदगी का दूसरा नाम ही दो पल है ।।।
Very nice 👌 madam & always
Keep going.
@Vikram
Beautiful post
ReplyDeleteReally Amazing.Every line acts as a Precursor and leads the way for another line to make a meaningful thought. Great!!!
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