Happy Krishn Janmashtami

 



Hare Krishna

A very Happy Janmashtami to all. On this auspicious occasion, accept my wishes, May Lord Krishna bless you all. All glories to the reader devotees. Let’s use all our senses in the service of our “Sachchidanand” and live to the fullest as per “His” wish. 


फ़िर हो गए खामोश लब

            फ़िर तेरा ख़याल आया

फ़िर आँखो तले छाया अँधेरा

             ना दरमियाँ निगाह-ए- जमाल आया

क्या तू, अब भी है साथ मेरे

            ना जाने क्यूँ, फ़िर से ये सवाल आया

 

कितना परखा, और कितना परखना होगा

            बड़ी राह देखी, कितना और तकना होगा

शर्मिंदा हूँ, फिर फ़ितरत पे अपनी

            कितना भटका, और कितना भटकना होगा

वक़्त ने बेवक्त हो कर, फिर बदली हवा 

            वक्त बदलते ही तेरे दर पे बेहाल आया 

फ़िर हो गए खामोश लब

            फ़िर तेरा ख़याल आया

 

जब साँस भी नहीं आती थी   

            तब भी तूने ही तो सराहा था

ज़ुबां जब मेरी तुतलाती थी

            मन की तू ही तो, समझ पाया था

फिर आज क्यूँ, धडकनों मे, उबाल है

फिर आज क्यूँ, धडकनों मे मेरी, उबाल है

            क्यूँ हूँ बैचन, जब हर बार, बनके तू मेरी ढाल आया 

क्या तू, अब भी है साथ मेरे

            ना-जाने अनजाने में, क्यूँ फ़िर से ये सवाल आया

 

हाँ, हूँ मै जर्रा, मिटना मेरी किस्मत ही सही       

            मेरी कैसी हैसियत, ये तेरी रहमत ही सही

मैं क्या माँगू, मैं क्या बोलूँ, ना बसमें है ये मेरे   

            तेरी मर्जी लगादे पार, या रहने दे अपनी खिदमत में कहीं

तस्सल्ली है, चमक के छा जाऊंगा

            ज्यूँ ज्यूँ सीने पे तेरा कुल्हाड़ आया 

क्या तू, अब भी है साथ मेरे

            ना जाने क्यूँ, फ़िर से ये सवाल आया

 

सैलाब ये मेरे ही लाये है

            मेरी खातिर, मेरे जख्म तूने ही तो खाये है

बक्श दे अपनी रहमत से मुझे

       तेरी मर्ज़ी से ही तो सब, हम जमीं पे आए हैं 

कुछ बात नहीं है मुझमें मेरे मालिक

कुछ औक़ात नहीं है मेरी, मुझे याद रहे मालिक

            मैं, “मैं” छोड़ अपनी, देख निढाल आया

            तेरी रहमत से होने फ़िर, मैं मालामाल आया  

फ़िर हो गए खामोश लब

            फ़िर तेरा ख़याल आया

फ़िर हो गए खामोश लब

            फ़िर तेरा ख़याल आया



श्यामिली






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