अब भी तुमसे प्यार है
शाम फ़िर गुज़र गई फ़िर शब् का इंतज़ार है फ़िर वही तनहाई है फ़िर दिल बेकरार है फ़िर ख़ामोशी ने घेरा है वक़्त का कैसा फेरा है कौन है , जो है झांकता तुमको, फ़िर बारम्बार है शाम फ़िर गुज़र गई फ़िर शब् का इंतज़ार है लहराता है हर झोके में ताकता है हर मौके पे ना रौशनी मिली, ना हवा पानी जाने पड़ी किसकी मार है फ़िर वही तनहाई है फ़िर दिल बेकरार है ये आया, जो, मेरे हिस्से में है क्या ये, तेरे भी, किस्से में है ये आया, जो, मेरे हिस्से में है क्या ये, तेरे भी, किस्से में है मीलों के इस सन्नाटे का क्या मंजिल है मेरी, या मझदार है फ़िर वही तनहाई है फ़िर दिल बेकरार है ज़रा सा, छू लो, जो तुम तो आ जाए, सकूँ ये जो, हारी है जिंदगी कैसे मै , इससे मिलूं तेरी मुलाकात ही अब मेरी नाकामी की दरकार है शाम फ़िर गुज़र गई फ़िर शब् का इंतज़ार है हाँ सीख लिया है, मैंने जीना रह रह कर फ़िर क्या, खलता है ना ज़ख़्म का निशाँ बाकी फ़िर नासूर, सा क्या, दिल में पलता है फ़िर मरहम को, क्यूँ बेताब है जब टूटा हुआ, हर ख्वाब है झूठ है , माना, की तू, मेरा यार है ये भी झूठ है, की, अब भी तुमसे प्यार है ...