जब भी आना, तुम ऐसे आना

 

जब भी आना, खुशरंग बनाना

हँसी होंठो पे अपने, दबाके आना

 

राह तकते तकते, सिहर उठी हूँ

हवा का रुख कुछ, घुमाँके आना

 

आँखें भी सुर्ख सी, होने लगी है

काजल में दवा को, मिलाके लगाना

 

ना कोई नाम बाकी, रहा है ज़हन में

मेरा नाम मुझी को, बतलाके जाना

 

तेरी याद की खातिर, जमाना लुटाया

तेरे दिल में, ही एक घर, बनाके लाना

 

मैं अब भी हूँ तन्हा, पर उतनी नहीं हूँ  

इज़ाफा तन्हाइयों में, करवाके जाना   

 

कई किस्से, हो गए है, तेरी जफ़ा के

कभी, दिल पे मरहम, लगाके जाना

  

उम्मींदें आज भी, ना होंगी मुकम्मल

उम्मींदें आज भी, ना होंगी मुकम्मल

कुछ होंसला सितमगर, दिलवाके जाना

 

दीदार -ए- इश्क़ की, आरजू थी जिनको

कफ़न माटी पे उनकी, ओढवाके जाना


श्यामिली

Comments

  1. Touched !!! Superb as ever 👌 ma'am 👍

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  2. बहुत-बहुत ही खूबसूरत लिखा है

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  3. बहुत-बहुत ही खूबसूरत लिखा है

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  4. Madam, ये तो आपने इतना बेहतरीन लिखा हैं
    तारीफ के लिए अल्फ़ाज़ नहीं हैं।।
    Beautiful presentation madam.

    @vikram....... गुड नाईट मैडम

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  5. Kya baat ,Kya baat . ,दवा को काजल में मिलाके लगाना , super se uper madam . Meera ka dard ye Ishque .Dinesh

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