मेरी कशमकश
ना दिल की जबां से, ना मद्द- ए- खुदा से नाम लिखा तुम्हारा, ज़ख्मों के निशाँ से ना टूटे, ना बिखरे , ना चटके गुमा में नज़र हटाई तुमने , गिरे आसमां से ना पार लगे हम , ना सागर ने, डूबाया यादों ने तुम्हारी , है शब भर जगाया मिले ना तुम , राह ढूंढ डाली सारी लगता है के फ़िर से, है तुमको, गवाया ना महकी है खुशबू , ना रंगो के बादल है ना बिखरी है जुल्फें , ना ढलका सा आँचल है वक़्त जैसे अपना, थम ही गया है ना जी भर के रोए है, उखड़ा जैसे हर पल है ना भूलें है तुमको , ना कभी चैन आया पाला हर ज़ख्म है , ना मरहम लगाया तुम आओ , ना आओ ये मर्ज़ी तुम्हारी ना रास्ता हमने देखा , ना नज़र को हटाया ना दुःख मना ए दिल, क्या खोने का ग़म है ना काफिला कभी था , तन्हा, बेहतर हम है ये रंग है अनोखा, आज इसको लगाले ना चाह मंजिल की बाकी , जाने किस राह हम है ना पतंगा बना , ना कभी जगमगाया हर रोल तुम्हारा , मैंने, खुद ही निभाया हर साँस है फिर भी, तुम्हारी मौजूदगी की गवां ना रुकने दी जिंदगी, ना धडकन ने कोई गीत ग...