विरह

 

विरह तेरी तडपाए मुझे

विरह में हरपल रोता रहूँ

ना आस मिटे ना प्यास मिटे

अश्कों से दामन भिगोता रहूँ

ओ राधा मेरी, तू ना समझे

तेरे प्यार में पागल होता रहूँ

रहे सामने तू, धड़कन और बढे

तेरे मिलन के, सपने संजोता रहूँ

राधे मेरी, तू ना समझे

तेरे प्यार में पागल होता रहूँ

 

ये रिश्ता कैसा निराला है

मन से मोहित कर डाला है

तेरी आस में हरदम, तू पास रहे

जादू कैसा कर डाला है

राधे मेरी, तू क्या समझे

मैं सपनो में, तेरे खोता रहूँ

विरह तेरी तडपाए मुझे

विरह में तेरी, मैं रोता रहूँ

 

माया ने बिछाया, जाल नया

ना उसको, ना तुझको आए दया

ना द्वारिका की होली भाए मुझे

मिल जाए, मन का मीत-सखा

राधे, तू मन की रानी है

कब तक मैं यूँ, समझोता करूँ  

विरह तेरी, तडपाए मुझे

विरह में तेरी, मैं रोता रहूँ

  

पल भर की ये, जिंदगानी है

ना मिटनी अपनी, कहानी है

हाँ, हारा तुझसे तेरा प्रियतम

फागुन में होली मनानी है

राधे मेरी, तू जीत गई

तुझे अपने ही रंग में भिगोता रहूँ

विरह तेरी तडपाए मुझे

तेरे मिलन के, सपने संजोता रहूँ

विरह तेरी तडपाए मुझे

मैं सपनों में, तेरे खोता रहूँ

विरह तेरी तडपाए मुझे

कब तक मैं यूँ, समझोता करूँ  

विरह तेरी तडपाए मुझे

तुझे अपने ही रंग में भिगोता रहूँ

राधे मेरी, तू ना समझे

तेरे प्यार में पागल होता रहूँ

 

 

श्यामिली

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