तुम्हारा ख्याल

 

ख्याल तुम्हारा फ़िर से क्यूँ,

मेरे ज़हन में आ गया

महफ़िल में फिर ये मुझको

बिन आँसू यूँ, रुला गया

सुना था, ख्याल से ही कायनात में 

गढ़ी जाती है मंज़िलें

इस वहम को भी पाला 

पर वक़्त सारा ज़ाया गया

कितना गढ़ा तुम्हे मैंने,

जाने कितना याद किया

बता कोई और, फ़िर कैसे

बिन मांगे तुमको पा गया

 

क्यूँ और कब तलक माँगू

करूँ और कितनी फ़रियाद मै

कितना और दिल ही दिल में

रखूँ तुमको अब, याद मै

तस्सली ना दे पाओ,

अफ़सोस ही करो

दो पलो से, हो ही जाऊं

अब जाकर आज़ाद मै

बिन बांधे, बंधी रही अब तक

अब मन क्यूँ मेरा, उकता गया

बता कोई और, फ़िर कैसे

बिन मांगे तुमको पा गया

 

नासूर ये कैसा मैंने खुद ही

मन ही मन में पाल लिया

वक़्त ने देखो तो मेरा

कैसा  हाल बेहाल किया

नाम तुम्हारे की अब तो  

पहचान भी मुझसे रूठ गई

ख़याल तुम्हारे ने फिर देखो    

मुझको है संभाल लिया

बिना तुम्हारे संभली रहीं मै

अब ये, कैसा मौसम आ गया

बता कोई और, फ़िर कैसे

बिन मांगे तुमको पा गया

 

उम्र ढली है, पर उम्मीद है बाकी    

शब् आने के इंतज़ार में है

कोई इशारा ही दे दो

कश्ती पहुंची मझदार में है

अब बस, बस करने को ही

दिल मेरा बेताब है

जीत ना सकी, मै खुद से  

अब जीत मेरी, मेरी खुद की हार में है

खुद से जीतूँ, खुद से हारूं

अब नया रास्ता, मुझको है भा गया

पर ख्याल तुम्हारा फ़िर क्यूँ,

मेरे ज़हन में आ गया

 

तुमने पाया ही नहीं था मुझे

कैसे मुझको खो दोगे

मै अब नई तलाश में हो

कहो, ना मुझको ढूंढोगे

कर दो इस वहम से आज़ाद मुझे

कह दो ना करोगे अब याद मुझे

कुछ मेरी वफा का सिला देदो

कहो कभी ना मुड़के देखोगे

ना डाली खाद वफ़ा में कभी

ना कहना कैसे वफा का पौधा मुरझा गया

तुमसे वापिस अपनी वफ़ा लेने

ख्याल तुम्हारा, मेरे जहन में आ गया

ख्याल तुम्हारा, फिर जहन में आ गया



श्यामिली

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