चेहरे
जो दिखता तो है,
होता पर नहीं
वो भी सुना,
जो कहा नहीं
मिली उसकी भी सज़ा,
जो किया
ही नहीं
दुनिया की यही,
रीत है यारो
जाने दो, जो चला गया,
ना था अपने लिए सही
बनाये थे दोस्त,
पर निकले दुश्मन
ढूंढे कैसे,
इक साफ सा मन
चेहरे इतने है,
परखें कैसे
कितना सोचे,
किसने
क्या क्या कही
कैसे बोले,
क्या
है बीत रही
दिल टुटा तो है,
ना
बिखरने देंगे
उम्मीद का दामन,
ना फिसलने देंगें
वो खुशफ़हमी में,
निभाए
दुश्मनी
मेरे रब ने मेरा हाथ,
कभी
छोड़ा तो नहीं
फिर क्यूँ सोचें
क्या
है गलत सही
फिर क्यूँ सोचें
क्या
है गलत सही
श्यामिली
👌👌👌🎉🎉
ReplyDeleteTrue, 👌👌
ReplyDeleteEn dum sahi🤗🤗
ReplyDeleteआपकी कविता आज के परिप्रेक्ष्य में सटीक बैठती है। सुन्दर रचना।
ReplyDeleteरब है तो सब है , all will be well 🙏🙏🙏🙏
ReplyDeleteSuperb
ReplyDeleteTrue👍
ReplyDeleteVery True...
ReplyDeleteRegards
Sanjeev