Let’s connect again
चाहे रात का अँधेरा हो चाहे मन तुम्हारे ने , घेरा हो करना ना बिलकुल वक़्त बर्बाद अपने बीच, ना तेरा मेरा हो ए दोस्त कभी, मुलाकात तो कर नाराज़ ही हो कुछ बात तो कर मैं आज भी मिलने आऊँगी इक बार बुला कर देख लेना अपना कान्धा फिर बढ़ाऊँगी हाथ बढ़ा कर देख लेना ए दोस्त कदम बढ़ा तो सही कभी सुन भी ले जो मैंने ना कही क्यूँ इधर उधर की चिंता है दर्द अपना एक , आज़मा लेना दो कदम तो , चलके देखो तुम आसां नही, ज़ख्म पे हवा करना ए दोस्त कभी मुडके तो देख नासूर पे मरहम करके तो देख चाहे इसकी हो, चाहे उसकी हो बात निकलेगी तो, तुम तक जाएगी तुम किसी का, बुरा ना मना लेना जब तुम्हारे आगे , याद मेरी भी आएगी ए दोस्त याद करले कभी आखिरी हिचकी अटकी है अभी श्यामिली