जाने क्या बात है
हसरतें ख़ामोश है कहीं
तूफ़ाँ में उफ़ान है कहीं
ये पहले पहर की बात है
हाँ ये, मेरे दर की बात है
कहीं किसी का दिल डूबे,
डूबे सूरज को देखते
कहीं चोटी पर चढ़ जाए कोई
उस मंजर को देखने
कोई, क़िसमे, क्या देखे,
ये, उसकी नज़र की बात है
कभी हमारा मुस्कुराना,
याद आ जाता है
कभी तेरा मुस्कुराना,
मुझको खलता है
कभी छत पर चंदा खिलता था
आज जाने किधर वो ढलता है
हम किससे कहें, क्या था यादों में
ये, बसते हुए घर की बात है
मैंने नज़र बिछाई थी जिसके लिए
नज़र वो ही बचा ले गया
मैंने जहाँ छोड़ा था जिसके लिए
तनहा शहर में छोड़ वो गया
मैं ज़िंदा हूँ और खुशहाल भी
शायद मरहम की बात है
खुले आँख जब ही, है सवेरा
दिल ही दिल में, क्या रखना अंधेरा
रोज़ नए रास्तों, को है बनाना
नई सुबह बनाए, रोज़ नया इक डेरा
आस भी बाक़ी, है विश्वास भी बाक़ी
शायद, उसकी रहमत की बात है
श्यामिली
Such a beauty ❤ this 👌
ReplyDelete👌
ReplyDeleteHeartfelt
ReplyDeleteBeautifully written
ReplyDeleteBahot hi behatreen likha hai aapne.
ReplyDelete@vikram
👍👏
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