क्यूँ बोल पड़ी
रहने
को तो,
चुप
रहना था
कहने
को कुछ,
नहीं
कहना था
कभी
कंगन,
कभी
पायल,
कभी,
मेरी ख़ामोशी
बोल
पड़ी
याद
आई,
कुछ
इस तरह
याद
आई तेरी,
इस
तरह
गूंगी उदासी
बोल
पड़ी
मेरा
ना लेना,
देना
था
उसका
सफर,
उसका
मेला था
करता
चाहे,
मनमर्जी
वो,
मैं मन की दासी,
बोल
पड़ी
रहने
को तो,
चुप
रहना था
पर, मेरी उदासी
बोल
पड़ी
जाने
कबसे,
होंठ
सिले थे
कैसे
किससे,
ज़ख्म
मिले थे
राज़
सोचा था,
राज़
ही रहेगा
जख्मों
की बदहवासी,
बोल
पड़ी
रहने
को तो,
चुप
रहना था
मेरी
उदासी
बोल
पड़ी
मान तो,
लिया ही था
सफ़र मेरा ,
तन्हा ही था
फ़िर किस कोने,
में दबी
मेरी रूह प्यासी,
बोल पड़ी
रहने को तो,
चुप रहना था
मेरी उदासी
बोल पड़ी
श्यामिली
,"जख्मों की बदहवासी बोल पड़ी " very heart touching line Madam .
ReplyDeleteNice 👌
ReplyDeleteHeart Touching post
ReplyDeleteHari Bol
Beautiful 👌🙏
ReplyDeleteRudra
Very nice 👌
ReplyDeleteरहने को तो,
ReplyDeleteचुप रहना था
पर, मेरी उदासी
बोल पड़ी
Nice lines Maam
Lovely words👏👏
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