Let it go

दर्द को चेहरे से, बेझिझक मिलने दें

ज़ख्म कैसा भी हो, किसी को तो सिलने दें

 

दें चाहे रिश्वत, या चाहे सख्त हो जा

दिल को शमा से, थोडा तो पिघलने दें

 

वो किसी का तो हो, चाहे तेरा ना हो

मासूम सी कली है, कहीं तो खिलने दें

 

अच्छा ही हुआ, दिल ही टूटा है

उम्र भर है गम, इसे साथ ही चलने दें

 

उम्मीद क्यूँ लगाई है तूने, मतलबी जहाँ में

मतलब को मतलब के, तराजू में तुलने दें

 

वहम दिल से निकल दे, कोई तेरा भी था

हर मोड़ पे बदलेगें वो, बदलतें है बदलने दें

 

कोई गया है तो, कोई आयेगा भी

दिल के हिजाब को, जी भर कर खुलने दे

 

कहने को कुछ ना कुछ, कहेगी ये दुनिया

इस सैलाब से मिटटी को, नाहक ना कुचलने दें

 

दिन ही ढला है, बाकी है जिंदगी

ना मुठ्ठियों को कस, ना रेत को फिसलने दें   

 

हम जान जायेंगे तुझे, आईने की तरह  

मुस्कुराहटों को होठों पे, थोडा सा खिलने दें

 

एक दफा हाल- ए – दिल बयाँ, करके तो देख

मरहम सा हाथ, ना काँधे से फिसलने दें

 

दर्द को चेहरे से, बेझिझक मिलने दें

ज़ख्म कैसा भी हो, किसी को तो सिलने दें


श्यामिली  


Comments

  1. Nice, true Lines

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  2. Bahu umda , kya baat
    🙏🙏🙏🙏🙏

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  3. बेहद खूबसूरत लिखा है आपने आदरणीय मैडम जी !
    बहुत सुंदर , बहुत सुंदर , बहुत सुंदर

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  4. आपकी कविता में दर्द झलकता है। सुन्दर

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  5. Very nice 👏👏

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    1. Very nice 👍🍫🙏🏻

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