क्या तुम मेरे, लगते हो
क्या
तुम मेरे, लगते हो
सपनों
में, आया करते हो
जब
दिल को दिल की, चाह नहीं
दिल
में क्यूँ, रोज़ उमड़ते हो
क्या
मेरे तुम, लगते हो
जानों
क्या है चाह अपनी
मिलके
ना मिली, है राह अपनी
कैसी
निकलेगी, आह अपनी
क्या
मन की तुम, सुन सकते हो
क्या
मेरे तुम, लगते हो
जैसे
दिल को, होती है धड़कन
पपीहे
को, होता है सावन
हिरन
तरसे, कस्तूरी को
तुम
मेरे लिए, ज़रूरी हो
मेरी
हर साँस में, बसते हो
क्या
मेरे तुम, लगते हो
पोह
कही, फटने को, हो
कली
फूल, बनने को, हो
भेरवी
राग़, छिड़ने को, हो
हमेशा
नए से, दिखते हो
क्या
मेरे तुम, लगते हो
खुशबू, जो मन को भा
जाये
सरुर,
जो आँख में आ जाये
वो
खबर, चेहरा चमका
जाये
हर
रूप में, तुम बस बसते हो
क्या
तुम मेरे, लगते हो
जीने
के लिए, तुम हो
ज़रूरी
फिर
क्यूँ, आ गई है दूरी
थी
क्या सचमुच, कोई मज़बूरी
या
तुम प्यार से, डरते हो
क्या
तुम मेरे लगते हो
ना
आना होगा, मर्ज़ी तुम्हारी
अपनी
ऐसी, नहीं थी यारी
ना
लगी तुम्हें, अपनी बीमारी
तुम
खूब, चहकते फ़िरते हो
ना
मेरे तुम कुछ, लगते हो
ना
मेरे तुम कुछ, लगते हो
श्यामिली
Awesome, very beautifully composed.................no words........................clapping.......
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ReplyDeleteWow Madam , it's sets of perfect words used by Great poetess and writers ,
ReplyDeleteNow we can say that we r working with great personality and great thinker
👍🏻🙏🏾🍍🍍🥥🥥,,khta tau jab hain jab hum haale dil kisi se kahe, kisi ko chahte rehna koi gunah tau nahi.
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ReplyDeleteVery touching... amazing writing
ReplyDeleteआपने अपने मन की अन्तर द्वदंता को अपनी कविता में सुंदरता से पिरोया है।
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