खता
खता
वही, बार बार
हम
कैसे, क्यूँ, करते
गए
थी
उसकी ग़लती, बार बार,
क्यूँ
हम भला, डरते गए
वो
ना समझा थे कभी
पर
कभी तो समझेंगें
कैसी
उम्मीदों पर ही हम,
दिन
की शाम, करते गए
थी
उसकी ग़लती, बार बार,
क्यूँ
हम भला, डरते गए
खता
वही बार बार
हम
कैसे, क्यूँ, करते
गए
सुनाई
देता है हमें
अपना
नाम फिज़ाओ में,
उसने
पुकारा भी नहीं
हम
ये क्या, सुनते गए
थी
उसकी ग़लती, बार बार,
क्यूँ
हम भला, डरते गए
खता
वही बार बार
हम
कैसे, क्यूँ, करते
गए
ना
वो रुका, ना आएगा
क्यूँ
है उसी का इंतज़ार
ना
वो रुका, ना आएगा
क्यूँ
है उसी का इंतज़ार
उसकी
खनक को सुनने को
हम
क्यूँ भला, मरते गए
खता
वही बार बार
हम
कैसे, क्यूँ, करते
गए
दिल
की सुने, तो क्यूँ सुने
दिल
ने दिया, ये दर्द क्यूँ
आँखों
की थी, गलतियाँ
दिल
से गिला करते गए
थी
उसकी ग़लती, बार बार,
क्यूँ
हम भला, डरते गए
खता
वही बार बार
हम
कैसे, क्यूँ, करते
गए
श्यामिली
👍👌
ReplyDeleteVery impressive 👍
ReplyDeleteRudra Vashist
Beautifully explained.
ReplyDeleteKeep it up Respected mam jee
Good day
Hari Bol
B'ful composition as always 👏👏👏Hare Krishna 🙏
ReplyDeleteVery nice Keep it up
ReplyDeleteVery nice 👍
ReplyDelete"आंखो की थी गलतियां ,दिल से गिला करते गए " it's line is superb Mam .bahut hi umda
ReplyDeletevery well articulated!
ReplyDeleteAwesome mam 🙏🙏
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