बिनती
ए मालिक, इतना ही देना
ना ग़रूर मुझमें होए
आँखें उतनी ही खोलना
ना मेरी वज़ह से, कोई रोए
ना जान पाया मैं,
जीवन क्यूँ मिला है
ना जान पाया मैं
ये कैसा सिलसिला है
ना कोई रास्ता में मिला है
ना किसी से कोई गिला है
फिर भला क्यूँ, सब अनजाना है
तस्वीर में जैसे, हर कोई बेगना है
कोई बड़ के थामले,
ऐसा मुझको सख़ा देना
जीवन का मोल समझाए
ऐसा रहनुमा देना
कल था परेशान,
कई साथ। थे, मेरे छूटें
आज भी हूँ परेशान,
ना कोई और साथ छूटे
ना जानू, था किसका क़सूर,
ना जानू, क्या वज़ह थी
बस जाना इतना ज़रूर,
इसमें तेरी ही रज़ा थी
पर मैं कहाँ हूँ लायक़
कैसे इम्तिहान मैं दूँ
कुछ हूँ मैं शर्मिंदा ,
पर कैसे तुझसे कहूँ
ना जाना अभी चलना,
क्यूँ है पग पग पे काँटे
हाँ, वो है, मेरे जैसे,
जिसने भी, यें बाँटे
है करनी किसी और की,
भरता है कोई और
कुछ कर, तेरे ही है बस की,
चला ये कैसा दौर
हाँ, हूँ मैं कमज़ोर,
ना कह सकता अपनी बात
तू ज्ञानी ज्ञान है उस और,
ख़ुद समझ मेरे हालात
अब तो कुछ कर्म कर
भ्रम मेरा, कुछ कम होए
ना शर्म से हो, पर
तेरे शुकराने में, मेरा सर होए
तेरे शुकराने में, मेरा सर होए
श्यामिली
Wonderful ma'am....well explained the condition of humans nowadays 🙌🏻
ReplyDeleteGreat madam
ReplyDeleteU r such a master with words 🙏 Amazing 👏
ReplyDeleteExcellent madam,u r really inspirational and motivational for all of us.
ReplyDeleteTake Care Madam.
ए मालिक, इतना ही देना
ना ग़रूर मुझमें होए
Iss baat ka to bhagwan bht hi acche se khyal rakhta hai, kya mazal jo gurur dur tak bhi dikhe.
@vikram
Great Madam Ji
DeleteGreat mam
DeleteVery nice
ReplyDeleteGreat
ReplyDeleteVery good mam carry on
ReplyDelete👌
ReplyDeleteReading after a Vaccum break.. Cherished every word n thought which you must have put in place to get such masterpiece... Kudos!!!
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