Couplets
Hi everyone, hope you are doing fine. Hope winters have taken over lead and you have become lazy. This is what is happening with me, not able to write a complete poetry. So sharing different couplets, kindly read every couplet separately, its not in continuation.
मुझे
तनहा समझ कर मेरा साया ना बन
पास
आकर देख, यहाँ ख़ामोशियों के मेले में हूँ
ख़्वाहिश
तो थी की मिर्जा हो जाये,
ज़रूरतों
ने पर इस तरह वार किया,
जिंदगी
भर कश्मकश रहेगी,
तार
दिया है, या फिर मार दिया
अभी
पेट की भूख मिटी ही थी,
ख़्वाहिशों के पर निकल आए
गिर
जाऊँ अगर तो उठा लेना,
घिर
जाऊँ अगर तो बचा लेना,
इतनी
उम्मीद तुमसे ज़्यादा तो नही,
बिखर जाऊँ अगर तो बना लेना
नाकाम
होने पे डर सताता रहा,
ज़ख़्म
मैं ये सबसे छुपाता रहा
तेरे
सहारे का क्या कहना,
जो इस चिलमन को भी उठाता रहा
बाद
मुद्दातो के साँस आयी है,
हम
भी ज़िंदा है, ख़बर लायी है
शौक़
ने खिड़कियाँ जो खोल दी आज,
शिकायत थी ख़ुद से, बात समझ आयी है
खामोश
रहकर ही, वक़्त गुज़ारना होगा
आवाज़ों
से खंडर, ढेर हो जाते हैं
हम
आप बीती कह भी ले कभी
दुनिया
के लिये शेर हो जाते हैं
श्यामिली
Great..👍
ReplyDelete👏👍
ReplyDeleteVery nice madam
ReplyDelete@vikram
Gazab likha hai bhabhi 💐💐
ReplyDelete👍👍
ReplyDeleteBahut hi khoobsurat bhabhi.
ReplyDeleteThese feeling and thought are very hard to touch but 3rd one is awasom Madam , abhi pet ki aag..... Wah ! Madam .🙏🙏🙏
ReplyDeleteDinesh
Delete"मुझे तनहा समझ कर मेरा साया ना बन
ReplyDeleteपास आकर देख, यहाँ ख़ामोशियों के मेले में हूँ"...इन लाइनों कितनी गहराई है..शब्दों का चयन आपने बहुत ही सुंदरता से की है..
😚😚🤗🤗
ReplyDeleteNice👌
ReplyDelete👍 very nice Maam
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